"साइलेंट वेपन"
एक अनसुलझा कत्ल
गहरे जंगलों में सुबह की हल्की धुंध फैली हुई थी। आकाश और उसके तीन दोस्त, जो शिकार के शौकीन थे, अपने हथियारों के साथ जंगल में घुसे थे। पक्षियों की चहचहाहट और सूखी पत्तियों की चरमराहट के बीच, वे अपने अगले निशाने की तलाश कर रहे थे। तभी अचानक, उनकी नजर एक अजीब दृश्य पर पड़ी—झाड़ियों के बीच एक आदमी की लाश पड़ी थी। उसका शरीर बुरी तरह से नोचा हुआ था, जैसे किसी जंगली जानवर ने हमला किया हो।
आकाश थोड़ा पीछे हटा और गौर से लाश का निरीक्षण करने लगा। वह फॉरेंसिक साइंस का छात्र था और उसे मामूली सबूतों को पहचानने की अच्छी समझ थी। हालांकि, यह मामला पहली नजर में जानवर के हमले का लग रहा था, लेकिन आकाश को कुछ गड़बड़ महसूस हो रही थी।
उनके एक दोस्त ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस जंगल में पहुंची और लाश को कब्जे में लेकर फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया।
अगले दिन, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई और पूरी टीम चौंक गई। यह कोई जंगली जानवर का हमला नहीं था, बल्कि हत्या थी! रिपोर्ट के अनुसार, मृतक के शरीर पर कई धारदार हथियारों के निशान थे, जो जानवरों के पंजों की तरह दिखाए गए थे। इसके अलावा, उसके शरीर में एक विशेष प्रकार का जहर पाया गया था, जो धीरे-धीरे असर करता है और मौत के कारणों को प्राकृतिक दिखाने में मदद करता है।
लाश की पहचान करने के बाद, एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ—यह आदमी कोई और नहीं, बल्कि रवि ठाकुर था, एक कुख्यात अपराधी, जिसके खिलाफ हत्या, अपहरण, और तस्करी जैसे कई संगीन मामले दर्ज थे।
फॉरेंसिक विभाग ने इस केस मे फॉरेंसिक साइंस के छात्र आकाश को चुना चूंकि आकाश अपने कॉलेज का टॉपर था और इस लाश को पहली बार देखने वाला भी वही था। आकाश के लिए यह सिर्फ एक और अध्ययन का अवसर नहीं था, बल्कि एक वास्तविक केस से सीखने तथा पुलिस के साथ मिलकर इसे सुलझाने का भी एक बेहतरीन मौका था। यह अवसर उसे कॉलेज के डीन, जो फॉरेंसिक विभाग के चीफ भी थे, उनकी सिफारिश से मिला था।
आकाश को फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स के साथ जांच में भाग लेने का अवसर मिला। वह उनकी हर प्रक्रिया को बारीकी से देखता और नोट्स बनाता गया। विशेषज्ञों की शुरुआती जांच में जो निष्कर्ष सामने आए, उन पर आकाश ने गहन विश्लेषण शुरू किया।
विशेषज्ञों ने पाया कि:
- उसके शरीर पर जानवरों के हमले के निशान नकली थे। यह किसी ने जानबूझकर उसे जंगली जानवर का शिकार दिखाने के लिए किया था।
- रवि के शरीर मे जो जहर था उसका असर बहुत धीमा था। इसका मतलब है कि रवि की मौत कहीं और हुई थी, और बाद में लाश को जंगल में फेंका गया।
- जंगल के पास स्थित एक पुराना फार्महाउस था जिसको उन्होंने शक के घेरे में था। चूंकि वहां से कुछ संदिग्ध गतिविधियां होने का पता चला था।
- रवि के शरीर पे कई माइक्रो इन्जेक्शन को इन्जेक्ट करने के भी सुराग मिले।
- और, रवि के शरीर पे काफी चोट के निशान थे जिससे ये पता चल रहा थे की उसको मअरने के पहले काफी टॉर्चर किया गया था। उसकी कलाई पे बंधन के निशान भी थे और वैसे ही निशान पैरों और गार्डन पर भी थे।
जैसे-जैसे आकाश मामले की गहराई में उतरता गया, उसे महसूस हुआ कि यह मामला उतना सीधा नहीं है जितना लगता था। फार्महाउस में जाने के बाद, उसे वहाँ एक पुरानी लकड़ी की अलमारी मिली, जिसमें से धूल भरी कुछ फाइलें निकलीं। जब आकाश अलमारी को खोलने लगा, तो उसे एहसास हुआ कि इसके दरवाजे के पीछे एक कपड़ा फंसा हुआ है। उसने ध्यान से कपड़े को हटाया और अलमारी को पूरी तरह खोला, तभी उसे एक गुप्त कमरे का पता चला।
कमरे के अंदर का नज़ारा डरावना और रहस्यमय था। कमरे को देखने से ऐसा लग रहा था जैसे यह एक टॉर्चर रूम हो, जहाँ किसी को दर्दनाक से दर्दनाक मौत दी जा सकती थी।
आकाश ने तुरंत अपने हैंड ग्लव्स पहने और कमरे की बारीकी से जांच करने लगा। वहाँ के हालात यह संकेत दे रहे थे कि इस जगह का इस्तेमाल काफी समय से नहीं किया गया था, लेकिन दीवारों पर जमे खून के धब्बे और टूटी जंजीरें कुछ और ही कहानी बयां कर रहे थे।
कोने में रखी एक लोहे की कुर्सी, जिस पर चमड़े की पट्टियाँ लगी थीं, यह इशारा कर रही थी कि यहाँ किसी को बांधकर यातना दी गई थी। ज़मीन पर पड़े खरोंच के निशान किसी के संघर्ष का सबूत दे रहे थे।
आकाश का दिल तेजी से धड़कने लगा। तभी अचानक, कमरे के बाहर किसी के पैरों की आहट सुनाई दी।
आकाश ने जल्दी से फाइल उठाई और अलमारी के पीछे छिपने की कोशिश की। दरवाजा धीरे-धीरे खुला और किसी ने कमरे में कदम रखा।
ये कोई और नहीं इस केस के इन्वेस्टगैटर इन्स्पेक्टर विशाल थे। इंस्पेक्टर विशाल जंगल में सबूतों की तलाश कर रहे थे। जब वे फार्महाउस पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि अलमारी का दरवाजा आधा खुला हुआ था। यह देखकर उनका पुलिसिया सिक्स्थ सेंस अलर्ट हो गया। उन्होंने धीरे-से अपनी रिवॉल्वर निकाली और सावधानी से कमरे के अंदर कदम रखा।
जैसे ही विशाल कमरे में दाखिल हुए, उन्हें वहाँ का खौफनाक माहौल साफ नजर आया—टूटी हुई जंजीरें, दीवारों पर सूखे खून के धब्बे, फर्श पर खरोंच के निशान। उन्हें तुरंत एहसास हो गया कि यह कोई आम कमरा नहीं था, बल्कि यातना देने के लिए इस्तेमाल किया गया एक गुप्त टॉर्चर रूम था।
लेकिन जैसे ही उन्होंने चारों ओर नजर दौड़ाई, एक हल्की सी सरसराहट सुनाई दी। विशाल तुरंत सतर्क हो गए और रिवॉल्वर को मजबूत पकड़ में ले लिया। "कौन है वहाँ?" विशाल ने सख्त आवाज़ में पूछा।
कोई जवाब नहीं आया। लेकिन अचानक, अलमारी के पीछे से एक हल्की सी हरकत हुई। विशाल ने बिना समय गँवाए अलमारी की ओर कदम बढ़ाए और तेजी से उसका दरवाजा खोल दिया। वहाँ खड़ा था आकाश!
आकाश की आँखों में डर और हैरानी झलक रही थी। विशाल ने तुरंत सवाल किया, "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"
"सर, मैं फॉरेंसिक साइंस का स्टूडेंट हूँ। मेरे कॉलेज ने मुझे इस केस को स्टडी करने का मौका दिया है, "सर, मैं जंगल में कुछ और सुराग तलाशने आया था, लेकिन फार्महाउस संदिग्ध लगा तो अंदर आ गया। यह कमरा देखकर मैं भी चौंक गया!"
आकाश का यह जवाब सुनकर इंस्पेक्टर विशाल की आँखें संकीर्ण हो गईं। वह कुछ देर तक बिना कुछ कहे आकाश को घूरते रहे, जैसे उसकी बातों में कोई झोल ढूंढ रहे हों। कमरे में छाई खामोशी ने माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया।
विशाल ने गहरी आवाज में पूछा, "तो तुम यह कहना चाहते हो कि तुम्हें इस फार्महाउस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी? और यह कमरा देखकर तुम खुद भी हैरान हो?"
आकाश ने हल्का सा सिर हिलाया, लेकिन भीतर ही भीतर उसकी धड़कनें तेज हो गई थीं।
विशाल ने आगे बढ़कर टॉर्च की रोशनी सीधे आकाश के चेहरे पर डालते हुए कहा, "अगर तुम सिर्फ जिज्ञासा के कारण यहाँ आए थे, तो फिर अलमारी के पीछे छिपे कमरे के बारे में कैसे पता चला?"
अब आकाश के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। उसे अपने जवाब को और ठोस बनाना था ताकि वह विशाल के सवालों में न फंसे।
आकाश ने संयमित आवाज में कहा, "सर, जब मैं इस फार्महाउस में घूमा, तो मुझे कुछ फाइलें मिलीं। जब मैंने अलमारी खोलने की कोशिश की, तो देखा कि उसके पीछे एक कपड़ा फंसा हुआ था। मुझे शक हुआ कि यहाँ कुछ छिपा हो सकता है। इसलिए मैंने ध्यान से देखा और यह गुप्त कमरा मिला। मैंने यहाँ घुसकर जांच करने का फैसला किया, और फिर… आप आ गए।"
विशाल ने गहरी सांस ली और कमरे का मुआयना करते हुए कहा, "इस जगह का अतीत बहुत खौफनाक लगता है, आकाश। लेकिन यह मत भूलो कि तुम अब एक अपराध स्थल पर खड़े हो। अगर तुमने कुछ छिपाने की कोशिश की, तो तुम्हारी पढ़ाई और करियर दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।"
आकाश ने आत्मविश्वास से जवाब दिया, "सर, मेरा मकसद सिर्फ सच्चाई तक पहुँचना है। अगर आप चाहें, तो मैं इस मामले में आपकी पूरी मदद करने के लिए तैयार हूँ।"
विशाल कुछ देर सोचते रहे और फिर धीरे से मुस्कराए। "ठीक है, आकाश। अगर तुम सच बोल रहे हो, तो इस केस को सुलझाने में तुम्हारी नजरें और दिमाग हमारे लिए फायदेमंद हो सकते हैं। लेकिन याद रखना—अगर कोई भी गड़बड़ दिखी, तो सबसे पहले मैं तुम्हें गिरफ्तार करूँगा।"
जैसे ही इंस्पेक्टर विशाल ने आकाश को चेतावनी दी, उन्होंने अपनी टॉर्च की रोशनी कमरे के हर कोने में घुमाई। उनकी नजर टेबल पर पड़ी उन फाइलों पर गई, जिन्हें आकाश ने देखने की कोशिश की थी। विशाल ने दस्ताने पहनकर एक फाइल उठाई और पन्ने पलटने लगे।
अचानक उनका चेहरा गंभीर हो गया। "आकाश, क्या तुम जानते हो कि ये फाइलें किसकी हैं?" विशाल ने एक फाइल आकाश की ओर बढ़ाते हुए पूछा।
आकाश ने जल्दी से फाइल के कवर को देखा—उस पर एक नाम लिखा था "रवि ठाकुर - ऑपरेशन ब्लैक डस्क"।
"ऑपरेशन ब्लैक डस्क?" आकाश बुदबुदाया
विशाल ने फाइल के कुछ और पन्ने पलटे और कहा, "मुझे लगता है कि यह मामला जितना दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा गहरा है। यह फाइल इस बात का सबूत है कि रवि ठाकुर सिर्फ एक आम अपराधी नहीं था, बल्कि उसके पीछे कोई और बड़ी ताकत थी। और ये कमरा... सिर्फ यातनाएँ देने के लिए नहीं था, बल्कि यहाँ कोई खतरनाक खेल खेला जा रहा था।"
आकाश ने ध्यान से फाइल देखनी शुरू की। उसमें कुछ कोड वर्ड्स, गुप्त दस्तावेजों की फोटोकॉपी, और कुछ लोगों के नाम और तस्वीरें थीं। उन तस्वीरों में से एक तस्वीर देखकर आकाश के होश उड़ गए। "ये... ये तो मेरे प्रोफेसर हैं!" आकाश के हाथ से फाइल लगभग गिर गई।
विशाल ने तुरंत फाइल वापस ली और गहरी नजरों से आकाश को देखा। "क्या तुम ये कहना चाहते हो कि तुम्हारे प्रोफेसर का इस केस से कोई संबंध है?"
आकाश के दिमाग में पिछले कुछ दिनों की घटनाएँ घूमने लगीं—कैसे उसके प्रोफेसर ने खासतौर पर उसे इस केस में इंटर्नशिप करने का मौका दिलाया, कैसे उन्होंने उसे कुछ खास पहलुओं पर ध्यान देने की सलाह दी, और अब... उनका नाम इस रहस्यमयी फाइल में शामिल था!
आकाश के दिमाग में जैसे विस्फोट हो गया हो। प्रोफेसर का नाम इस फाइल में होना किसी बड़े रहस्य की ओर इशारा कर रहा था। इंस्पेक्टर विशाल उसकी आंखों में छिपी बेचैनी को भांप चुका था। "आकाश, अब जो भी तुम्हें पता है, मुझे साफ-साफ बताओ!" विशाल ने सख्त लहजे में कहा।
आकाश ने गहरी सांस ली और धीरे-धीरे अपनी बात कहनी शुरू की, "सर, मेरे प्रोफेसर, डॉ. अजय वर्मा, सिर्फ कॉलेज के डीन ही नहीं, बल्कि फॉरेंसिक विभाग के चीफ भी हैं। उन्होंने ही मुझे इस केस पर स्टडी करने के लिए भेजा था। लेकिन अगर उनका नाम इस फाइल में है, तो जरूर कुछ न कुछ बड़ा छुपाया जा रहा है।"
विशाल ने फाइल को एक बैग में रखते हुए कहा, "इसका मतलब है कि हमें जल्द ही प्रोफेसर अजय से बात करनी होगी। लेकिन उससे पहले हमें फार्महाउस का पूरा निरीक्षण करना होगा। हो सकता है यहाँ और भी सबूत छुपे हों।"
विशाल और आकाश ने पूरे कमरे को बारीकी से खंगालना शुरू किया। अलमारी के पीछे से एक गुप्त दरवाजा मिला, जो एक तहखाने की ओर जाता था।
सीढ़ियां अंधेरे में नीचे उतर रही थीं। विशाल ने अपनी टॉर्च आगे की ओर बढ़ाई, और जैसे ही रोशनी दीवारों पर पड़ी, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।
तहखाने में शरीर के अंगों से भरे कांच के जार रखे हुए थे! कुछ जारों में कटी हुई उंगलियां, तो कुछ में आंखें और दिल रखे हुए थे। ऐसा लग रहा था मानो किसी प्रयोगशाला का हिस्सा हो।
आकाश की आंखों में भय था, "सर, ये तो किसी मेडिकल एक्सपेरिमेंट जैसा लग रहा है!"
विशाल को एक मेज पर रखी एक पुरानी डायरी दिखी। जब उन्होंने डायरी खोली, तो उसमें कुछ भयावह नोट्स लिखे हुए थे: "मानव शरीर के कुछ अंगों पर प्रयोग सफल रहे। जहर का असर धीमा होता है, लेकिन सही मात्रा में देने पर यह मौत को प्राकृतिक दिखा सकता है। अगले प्रयोग के लिए एक और शिकार की जरूरत है।"
आकाश ने कांपती आवाज़ में कहा, "सर, क्या ये एक्सपेरिमेंट रवि ठाकुर पर भी किया गया था?"
विशाल ने सिर हिलाया, "संभावना तो यही लगती है। लेकिन इससे भी बड़ा सवाल यह है कि ये सब कर कौन रहा था?"
तभी तहखाने के कोने में पड़ा एक खून से सना सफेद लैब कोट मिला, जिस पर एक नाम लिखा था— "डॉ. अजय वर्मा"
आकाश की सांसें अटक गईं। "ये कैसे हो सकता है? क्या मेरे प्रोफेसर इस सब में शामिल हो सकते हैं?" तभी अचानक, ऊपर से कदमों की आवाज़ आने लगी। कोई फार्महाउस में आ रहा था! विशाल ने तुरंत अपनी गन निकाल ली और इशारे से आकाश को चुप रहने को कहा।
"अब देखना यह है कि कौन है ये रहस्यमयी शख्स, जो इस फार्महाउस में आने की हिम्मत कर रहा है..."
ऊपर से आती भारी कदमों की आहट अब और तेज़ हो गई थी। विशाल और आकाश दोनों ही तहखाने के अंधेरे में छिप गए। विशाल ने अपनी गन कसकर पकड़ ली और आकाश को इशारे से सतर्क रहने को कहा।
दरवाजे की चरमराहट के साथ कोई अंदर आया। टॉर्च की रोशनी इधर-उधर घूमी और फिर सीढ़ियों की ओर बढ़ने लगी। जो भी था, वह तहखाने के अंदर आने वाला था।
जैसे ही वह शख्स तहखाने के आखिरी सीढ़ी पर पहुंचा, विशाल ने एकदम से उस पर गन तान दी— "रुको! वरना गोली मार दूंगा!"
रोशनी में अब चेहरा साफ दिखने लगा… यह कॉलेज का असिस्टेंट प्रोफेसर अमित वर्मा था! आकाश हक्का-बक्का रह गया, "सर? आप यहाँ क्या कर रहे हैं?"
अमित के चेहरे पर डर और पसीना साफ झलक रहा था। वह कांपते हुए बोला, "प… प्लीज! मुझे कुछ मत करना। मैं यहाँ बस…"
विशाल ने गुस्से से पूछा, "झूठ मत बोलो! यहाँ यह तहखाना, शरीर के अंगों से भरे जार, खून से सना लैब कोट… और ये डायरी जिसमें खतरनाक प्रयोगों का जिक्र है। सच-सच बताओ, ये सब क्या है?"
अमित ने धीरे-धीरे बोलना शुरू किया, "मुझे खुद नहीं पता था कि प्रोफेसर अजय इस हद तक चले जाएंगे। वह सिर्फ फॉरेंसिक एक्सपर्ट ही नहीं, बल्कि एक साइकोपैथ साइंटिस्ट भी थे। वह इंसानों पर गुप्त प्रयोग कर रहे थे!
आकाश और विशाल की आंखें फटी रह गईं। "क्या?" विशाल ने झटके से पूछा।
"हाँ!" अमित घबराए हुए बोला, "वह एक खतरनाक न्यूरोटॉक्सिन पर रिसर्च कर रहे थे, जो किसी भी इंसान की मौत को नेचुरल लगने पर मजबूर कर सकता था। रवि ठाकुर इस एक्सपेरिमेंट का ताज़ा शिकार था! पहले उसे यह ड्रग दिया गया, फिर शरीर पर नकली जानवरों के पंजे बनाए गए ताकि लगे कि वह किसी जानवर का शिकार हुआ है!"
आकाश ने तुरंत पूछा, "लेकिन प्रोफेसर अजय ने ऐसा क्यों किया?"
अमित ने डरते हुए जवाब दिया, "वह इसे ब्लैक मार्केट में बेचना चाहते थे। इस ज़हर को इस्तेमाल करके कोई भी हत्या को प्राकृतिक मौत में बदला जा सकता था। अपराधी, माफिया, आतंकवादी—हर कोई इस जहर को खरीदने को तैयार था। रवि ठाकुर उनके रास्ते में आ गया, इसलिए उसे खत्म कर दिया गया।"
विशाल ने कड़क आवाज में पूछा, "और तुम? तुम इस सबमें कितने शामिल हो?"
अमित ने हाथ जोड़ते हुए कहा, "सर, मैं सिर्फ एक असिस्टेंट था। मुझे बाद में पता चला कि प्रोफेसर अजय ये सब कर रहे हैं। जब मैंने विरोध किया, तो उन्होंने मुझे धमकी दी कि अगर मैंने किसी को बताया, तो अगला शिकार मैं खुद बनूंगा!"
आकाश और विशाल अब समझ चुके थे कि यह मामला कितना बड़ा और खतरनाक था। लेकिन इससे पहले कि वे कुछ और सोच पाते, अचानक ऊपर से गोलियों की आवाज़ गूंज उठी!
विशाल ने तुरंत अपने हथियार संभाले और इशारा किया, "लगता है कोई और भी यहाँ आ गया है!"
ऊपर से गोलियों की आवाज़ लगातार गूंज रही थी। विशाल ने तुरंत संकेत दिया कि धीरे-धीरे आगे बढ़ना होगा। आकाश की धड़कनें तेज हो गईं। यह उसकी जिंदगी का पहला रियल-टाइम इन्वेस्टिगेशन था और अब यह किसी भी मोड़ पर मौत का खेल बन सकता था। "हम बाहर कैसे निकलेंगे?" आकाश ने फुसफुसाकर विशाल से पूछा।
विशाल ने जवाब दिया, "पहले ये जानना होगा कि गोलीबारी कौन कर रहा है—पुलिस, अपराधी या कोई और?"
अमित बुरी तरह डर चुका था। उसके हाथ कांप रहे थे। विशाल ने उसे कड़े लहजे में कहा, "अगर बचना चाहते हो, तो शांत रहो और मेरे साथ रहो। वरना मैं तुम्हें मार दूंगा !"
वे धीरे-धीरे तहखाने से निकलकर फार्महाउस की ओर बढ़े। कमरे की दीवार से झांकते ही विशाल ने देखा—चार नकाबपोश आदमी गन लिए खड़े थे।
उनमें से एक आदमी ज़मीन पर पड़ा था, शायद मर चुका था। बाकी तीन प्रोफेसर अजय से बहस कर रहे थे। "तूने हमसे धोखा किया, अजय!" एक नकाबपोश गरजा। "तेरा न्यूरोटॉक्सिन अधूरा है! हमने करोड़ों दिए थे इस फार्मूले के लिए, और अब तू कहता है कि यह परफेक्ट नहीं है?"
प्रोफेसर अजय का डर उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था। "सुनो, मुझे थोड़ा और वक्त दो, मैं इसे पूरा कर दूंगा… बस कुछ और टेस्टिंग चाहिए," उसने घबराते हुए कहा। "अब तेरा टाइम खत्म!" नकाबपोश ने गन तानी और अजय की तरफ ट्रिगर दबाने ही वाला था कि— "धायं!" विशाल ने फायर कर दिया!
गोलियों की बौछार शुरू हो गई। विशाल ने एक नकाबपोश को मौके पर ही मार गिराया। बाकी दोनों तुरंत सतर्क हो गए और जवाबी हमला करने लगे।
आकाश और अमित जल्दी से पीछे की ओर छिप गए। विशाल ने इशारा किया कि आकाश मौका मिलते ही भाग जाए, लेकिन आकाश ने मना कर दिया। "नहीं सर! मैं यहाँ से भागने के लिए नहीं आया, बल्कि इस केस की गहराई तक जाने के लिए आया हूँ!"
विशाल ने मुस्कराते हुए कहा, "शाबाश! पर अपनी जान की कीमत पर नहीं!"
एक नकाबपोश आदमी विशाल पर हमला करने के लिए दौड़ा, लेकिन आकाश ने लकड़ी की कुर्सी उठाकर उसके सिर पर दे मारी! "धड़ाम!" वह ज़मीन पर गिर पड़ा, और विशाल ने तुरंत उसे काबू में कर लिया।
अब सिर्फ एक नकाबपोश बचा था। लेकिन इससे पहले कि विशाल कुछ कर पाता, वह प्रोफेसर अजय को पकड़कर गन उसकी कनपटी पर रख चुका था। "कोई हिला, तो इसे उड़ा दूंगा!" उसने चीखते हुए कहा।
तभी आकाश की नजर टेबल पर रखी फाइलों पर पड़ी। उसमें कुछ ऐसी रिपोर्ट्स थीं, जो इस केस को पूरी तरह से बदल सकती थीं। "सर! हमें इस फाइल को जरूर देखना चाहिए!"
विशाल ने आकाश की ओर देखा और फिर नकाबपोश पर अपनी गन तान दी। "तू अब बच नहीं सकता। हथियार डाल दे!" लेकिन नकाबपोश ने अचानक प्रोफेसर अजय को धक्का दिया और खुद को पीछे के दरवाजे से भागने की कोशिश की। विशाल ने तुरंत एक और गोली चलाई, लेकिन वह अंधेरे में गायब हो चुका था। "साला! भाग गया!" विशाल ने गुस्से में कहा। प्रोफेसर अजय कांपते हुए ज़मीन पर गिर पड़ा।
विशाल ने तुरंत आकाश को देखा, "क्या मिला तुझे इन फाइलों में?"
आकाश ने जल्दी-जल्दी फाइल के पन्ने पलटे और उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। "सर! यह तो… यह तो पूरी पुलिस फोर्स के लिए खतरा है!" विशाल ने फाइल को देखा और वह भी स्तब्ध रह गया।
विशाल ने फाइल के पन्ने तेजी से पलटे। हर एक पन्ना एक नए रहस्य से भरा था। फाइल में न सिर्फ रवि ठाकुर की मौत की असली वजह दर्ज थी, बल्कि उस गुप्त फार्मूले का भी जिक्र था, जिस पर प्रोफेसर अजय काम कर रहे थे। "न्यूरोटॉक्सिन… एक ऐसा जहर, जो बिना किसी निशान के इंसान को मार सकता है!" आकाश ने फाइल पढ़ते हुए कहा। विशाल को अब पूरी तस्वीर साफ दिखने लगी थी। यह एक साइंटिफिक मर्डर था, जिसे एक एक्सपेरिमेंट की तरह अंजाम दिया गया था। लेकिन अब सवाल यह था कि असली मास्टरमाइंड कौन था?
आकाश ने फाइल के आखिरी पन्ने को पढ़ा और सन्न रह गया। "सर… इस पूरी साजिश के पीछे कोई और नहीं, बल्कि प्रोफेसर अजय ही हैं!"
विशाल ने अजय की ओर देखा, जो अब बुरी तरह कांप रहा था। "न..नहीं! मैंने कुछ नहीं किया!" अजय ने सफाई देने की कोशिश की। "झूठ मत बोलो प्रोफेसर!" आकाश ने गुस्से में कहा। "तुमने ही इस न्यूरोटॉक्सिन को डेवलप किया और इसे टेस्ट करने के लिए रवि ठाकुर को इस्तेमाल किया!" विशाल ने गन तान दी। "अब हमें पूरा सच बताओ, वरना गोली अभी चलेगी!"
अजय ने गहरी सांस ली और कहा, "मैंने इस न्यूरोटॉक्सिन को डेवेलप किया था, लेकिन यह सिर्फ रिसर्च के लिए था! मुझे लगा कि इसे सिर्फ डिफेंस के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, लेकिन जब मुझे पता चला कि इसे एक 'साइलेंट वेपन' की तरह बेचा जा रहा है, तब मैंने इसे रोकने की कोशिश की।"
आकाश चौंक गया। "मतलब तुमने खुद रवि ठाकुर को मारा?"
अजय ने धीरे से सिर झुका लिया। "मैं मजबूर था… रवि ठाकुर मेरे फार्मूले को गलत हाथों में बेचने वाला था। अगर मैं उसे रोकता नहीं, तो हजारों लोग इस जहर का शिकार बन सकते थे।"
विशाल को समझ नहीं आ रहा था कि वह अजय को गुनहगार समझे या एक मजबूर इंसान? तभी, अचानक पीछे से एक गोली चली! विशाल तेजी से नीचे झुका, लेकिन गोली सीधा अजय के सीने में लगी। अजय की आँखें चौड़ी हो गईं और वह लड़खड़ाकर गिर पड़ा।
आकाश और विशाल ने तुरंत पीछे मुड़कर देखा। वहीं दरवाजे पर वही नकाबपोश खड़ा था, जो भाग निकला था! "बातें बहुत हो गईं, अब खेल खत्म!" उसने कहा और अपनी गन सीधी विशाल पर तान दी। लेकिन इस बार विशाल पहले से तैयार था। "धायं!" एक सटीक निशाने के साथ गोली नकाबपोश की गर्दन के आर-पार निकल गई। वह वहीं ढेर हो गया।
अजय अपने आखिरी शब्दों में बस यही कह सका, "मुझे माफ कर दो… मैंने जो किया, वो सही था या गलत, मुझे नहीं पता… पर मैं नहीं चाहता था कि मेरा ज्ञान किसी की मौत का कारण बने।" आकाश की आँखों में आंसू आ गए। विशाल ने आकाश के कंधे पर हाथ रखा। "कभी-कभी सच्चाई कड़वी होती है, पर जरूरी यह है कि सही और गलत के बीच फर्क समझा जाए।"
पुलिस ने बाकी अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया। न्यूरोटॉक्सिन की फॉर्मूला रिपोर्ट नष्ट कर दी गई, ताकि कोई इसे फिर से इस्तेमाल न कर सके। आकाश के लिए यह पहला केस था, लेकिन इसने उसे हमेशा के लिए बदल दिया। "यह दुनिया काली और सफेद नहीं होती, सर… कहीं ना कहीं बीच में एक ग्रे ज़ोन भी होता है, जहां लोग अच्छे होते हुए भी गलतियां कर जाते हैं।"
विशाल ने उसकी ओर देखा और मुस्कराते हुए कहा, "बिलकुल सही कहा… जासूस बनने के लिए सिर्फ दिमाग नहीं, दिल भी होना चाहिए।"
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