वो आखरी मांग और आखरी शब्द..
जादू - टोना, कला जादू क्या सच मे सब इस दुनिया मे अपना अस्तित्व रखती है या ये सिर्फ एक अंधविश्वाश मात्र है।कुछ लोग इस बात को मानते है तो कुछ लोग इन बातों को अंधविश्वाश मात्र मान इसे नजर अंदाज करते है। लेकिन अगर हम भगवान की शक्तियों को मानते है तो यकीनन इस तरह की भी शक्तियां भी इस धरती पर मौजूद है।
ये कहानी नब्बे के दशक की है। 1989-90 के करीब मलेशिया मे एक लड़की जिसका नाम था "मोना फैंडी"। उस दौरान मोना फैंडी की गायकी काफी चर्चा मे थी। उसकी आवाज, उसके गाने का अंदाज और उसके गानों को लेकर उस दौर मे मोना फैंडी के प्रशंसक वर्ग की संख्या मे काफी तेजी से वृद्धि हो रही थी।
मोना फैंडी का जन्म 1 जनवरी 1956 मे मलेशिया के छोटे से शहर के एक मध्ययम वर्ग परिवार मे हुआ था। मोना को बचपन से ही गाने का बहुत सौख था जिसे आगे चल उसने अपने पेशे के तौर पर चुना और उसमे उसने काफी कामयाबी भी पाई।
फिर 1991 आते - आते, बहुत सारे नये गायक भी आए। नये गायको के आने से मोना को काम मौका मिलने लगा। जिससे उसकी लोकप्रियता मे भी कमी आने लगी। मोना को अब लगने लगा की शायद अब गायकी की दुनिया मे उसका आखरी समय आ चुका है। लेकिन जीने के लिए उनको कुछ तो करना था। एक दिन वो अपने जान पहचान के एक व्यक्ति से मिलने गई जो बहुत ही ज्यादा अमीर और काफी रसूखदार था। लेकिन वह बहुत ही अंधविस्वासी था। वह अपने पैसे और अपनी ताकत को बचाए रखने के लिए दोहा, तावीज, जादू - टोना इत्यादि छुप -छुप के करवाते थे।चूंकि मलेशिया मे ये सब खुले आम करना गैर-कानुनी था। मोना को लगा के ज्यादातर अमीर लोग डरपोक और अंधविश्वासी होते है। उनको लगता था की अगर जादू-टोने से कुछ मिल सकता है तो उसमे हर्ज हीं क्या है, पुराने जमाने मे भी तो ऐसा होता था तो इसमे कुछ भी गलत नहीं। इसके बाद मोना ने कुछ ऐसे लोगों को ढूंढा जो कला जादू के माहिर थे और उनके द्वारा वो अब कला जादू सीखने चल पड़ी।
फिर, मोना ने कला जादू करने की कला को सीखने के लिए उससे जुड़ी सभी किताबों को पढ़ा, उसका इस्तेमाल और प्रयोग भी सीखने लगी। धीरे -धीरे मोना उस कला मे माहिर होने लगी। छोटे - मोठे जादुई कलाए भी करने लगी थी। मोना के पास अपने दुख - तकलीफ के निवारण हेतु, लालच के वशीभूत छोटे - छोटे ग्राहक अपने अपने उद्देश की पूर्ति हेतु पहुँचने लगे। मोना लोगों को उनकी तकलीफों के हिसाब से सलाह देने लगी।धीरे - धीरे मोना जितना एक गायक के तौर पे मशहूर न हो पाई थी उससे ज्यादा चोरी - छुपे ही सही वह एक तांत्रिक और कला जादू करने वाली के तौर पर मशहूर होने लगी। उसका नाम अब ऊंचे तबके के लोगों के बीच भी पहुँच चुका था। इत्तेफाकन उस समय मोना की मुलाकात एक मलेशिया के ऐसे नेता से हुई जिनकी महत्वाकांक्षा वहाँ के एक राज्य के मुख्यमंत्री बनने की थी। उनका नाम था "मजलान इदरीस" ये मलेशिया के एक राजनीतिक पार्टी UMNO के नेता थे। उनका मानना था कि अगर वो और उनकी UMNO पार्टी इस बार की चुनाव मे जीत गए तो वो मुख्यमंत्री बन जाएगे। लेकिन मजलान इदरीस बहुत ही अंधविश्वासी थे उन्होंने इतिहास के पन्नों मे उन सभी बड़े नेताओं की जिंदगी के बारे मे खोज की थी जिन्होंने जादू टोने की मदद ही अच्छे पद को पाए थे। जिनमे कुछ वहाँ के पूर्व मुख्यमंत्री और कुछ मलेशिया के प्रधानमंत्री भी रह चुके थे।
मजलान इदरीस को अपने सलाहकारों से मोना फैंडी के बारे मे पता चला। वे मोना फैंडी से मिले और अपनी सारी कहानी उसे बताई। मोना ने सब जानने के बाद उन्हे कुछ तावीज दिए साथ ही क्या करना है क्या नहीं करना है जैसी बाते भी बताई। मजलान इदरीस ने वैसा ही करना प्रारंभ कर दिया। ये इत्तेफाक था या चमत्कार नहीं पता लेकिन जब से मजलान इदरीस ने मोना के बताए कार्यों को करना परंभ किया। उसके सभी बिगड़े कार्य खुद ब खुद बनते चले गए। इस कारण वश मजलान इदरीस का भरोषा मोना के ऊपर बढ़ता चला गया। अब मजलान इदरीस ये बात को मानने लगे की एक मोना ही है जो उन्हे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा सकती है। जिसके बाद मजलान इदरीस अब मोना पर उसे मुख्यमंत्री के पद तक पहुचने के लिए तंत्र-मंत्र तथा जादू टोना करने के लिए दबाव बनाने लगे। फिर एक दिन मोना ने मजलान इदरीस को फोन कर अपने पास बुलाया उनको मोना ने इस बात से अस्वस्त किया की मुख्यमंत्री की कुर्सी आप को ही मिलेगी इसके लिए मैं आपको दो चीजें दूँगी जिसके बाद आप का कोई भी प्रतिद्वंदी आप के सामने टिक नहीं पाएगा।मोना ने उन्हे एक छड़ी और एक शंखा का मुकुट दिया। जिसके बारे मे उसने बताया की ये छड़ी और मुकुट इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो की है जिसके बारे मे ये कहा जाता है की उनके आस पास के लोग उनको काले जादू के जरिए उन्हे शक्तियां देते थे और उन्मे उस जादू को खुद मे समालेने की शक्ति थी। जिसको उन्होंने बड़ी भारी कीमत देकर उनके लिए हासिल किया है। चूंकि इसके बारे मे मजलान इदरीस ने भी पढ़ रखा था की काले जादू के इस्तेमाल के कारण सुकर्णो को मिलने वाली शक्ति की कुछ शक्ति उनके छड़ी और मुकुट मे भी है। और अगर वह उसे मिल गया तो उसका मुख्यमंत्री बनना तो तय है। अतः मजलान इदरीस उसको पाने के लिए लालायित हो उठा। मजलान इदरीस ने उस छड़ी और मुकुट की कीमत पूछी तो मोना ने उसकी कीमत 25 लाख रींगित कहा साथ मे इसके इस्तेमाल के तरीके भी बताने की बात कही जिससे वो न सिर्फ मुख्यमंत्री बल्कि उसके ऊपर के पदों को भी पा सकते थे।
मजलान इदरीस मोना की बातों मे आ गए और पैसों के इंतजाम के लिए थोड़ा समय मांगा। मजलान इदरीस ने पैसों के लिए अपनी जमीन को बेच कर 6.25 लाख रींगित अग्रिम राशि के तौर पे दे भी दिया। चूंकि एक चौथाई रकम मोना को मिल चुकी थी। मोना ने मजलान इदरीस को जुलाई 1993 की एक तारीख पर अपने घर पर मुकुट और छड़ी को धारण करने के पूर्व एक रस्म की अदायगी के लिए बुलाया। जिसमे उसे फूलों से स्नान करा के पवित्र किया जाना था इस रस्म की अदायगी के लिए मोना ने उसे अपने घर अकेले बुलाया और कहा के इस रस्म को अकेले मे ही किया जा सकता है साथ ही इस पूरे रस्म के दौरान ईदृश साहब की आंखे बिल्कुल ही बंद रहेंगी और उन्हे सिर्फ अपने सपने पर ध्यान को केंद्रित रखना होगा। सो सकता है की दुशरी शक्तियां उनके ध्यान को भटकने की बहुत सारी कोशिशे भी करेंगी परंतु उनको किसी भी कीमत पर अपनी आँखों को बंद ही रखना होगा। अन्यथा सब समाप्त हो जाएगा। परंतु ये सब तभी किया जाएगा जब वे बाँकी के पैसे लाकर देंगे ये मोना की आखिरी शर्त थी। मजलान इदरीस तैयार हो गए।
13 जुलाई 1993 तय समय पर मजलान इदरीस मोना के घर पर पहुँच गए। थोड़ी सी बातचीत हुई फिर मजलान इदरीस ने बाँकी के पैसों से भर बाग मोना को सौप दिया जैसा की तय हुआ था फिर मोना ने मजलान इदरीस को मुकुट और छड़ी दिखाई गई और उनसे कहा गया के वो इन दोनों को आज अपने साथ ले जा सकते है लेकिन पुष्प स्नान के बाद। मजलान इदरीस रस्म के लाइ तैयार थे बाकायदा उनके पुष्प स्नान के लिए टब को फूलों से भर गया। मजलान इदरीस टब मे उतरे और शर्त के मुताबिक अपनी आँखों को बंद किए हुए अपने हसीन सपनों मे खो गए। तभी दरवाजे से दो लोग अंदर की तरफ दाखिल हुए। कदमों के आहट पर भी मजलान इदरीस ने आँखें नहीं खोली। जो दो लोग अंदर की तरफ दाखिल हुए थे उन्मे से एक के हाथ मे कुल्हाड़ी थी, जिसका निशाना मजलान इदरीस का गला था। उस व्यक्ति ने कुल्हाड़ी के एक वार से मजलान इदरीस के सर को धड़ से अलग कर दिया। खून का एक फव्वारा सा फुट पड़ा एक तरफ मजलान इदरीस का सर किसी गेंद की तरह टप्पे खा रहा था दुशरी ओर धड़ की छटपटाहट कमजोर दिल वालों को बेचैन करने वाला था। धीरे - धीरे दोनों शांत हो गए। टब खून से भर गया।
मजलान इदरीस के शरीर को एक बोरी मे भरा जाता है और पूरे घर की ठीक तरीके से सफाई की जाती है तब मे जमा खून को गटर मे बाहा दिया जाता है उसके बाद तीन लोग बोरी के लए कर मोना के घर से बाहर निकलते है और पास मे ही पहले से एक गड्ढा खुदा हुआ था जिसमे मजलान इदरीस के शरीर को दफना देते है और मिट्टी को समतल कर देता है। इसके बाद तीनों लोग घर वापस आए तीनों ने पैसे आपस मे बाँट लिए फिर हत्या के करीब 8 घंटे के बाद मोना अपने पति के साथ मार्शडिज के शोरूम मे गई और एक महंगी सी मार्शडिज कार खरीदी उसके बाद ढेर सारी खरीदारी की और अपने घर को लौट आयी।
दो - तीन दिन के बाद मजलान इदरीस की पत्नी ने मजलान इदरीस के गुमशुदगी की रिपोर्ट मलेशियन पुलिस मे की। चूंकि मजलान इदरीस एक बड़े नेता थे। इसलिए उनकी गुमशुदगी की खबर जंगल मे आग की तरह पुर मलेशिया मे फैल गई। पूरा हफ्ता निकाल गया था लेकिन मजलान इदरीस की कोई खबर नहीं मिली।
20 जुलाई 1993 को एक जुआघर (कसीनो) मे एक झगड़ा होता है जिसमे मलेशियन पुलिस के द्वारा एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है उस व्यक्ति का नाम था "जुराइमी"। पुलिस ने जुराइमी को पकड़ थाने ले गई और वहाँ पर उसकी लाठी - डंडों से खूब खातिरदारी की गई। फिर जब पूछ-ताछ की गई तो जुराइमी ने अकड़ कर पुलिस वालों से कहा की तुम मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते, तुम मुझे यहाँ ज्यादा देर नहीं रोक पाओगे। ये तो कोई अपराध नहीं है मैंने इससे भी भयानक अपराध किया है जिसका तुम्हें अंदाजा भी नहीं है। पहले तो पुलिस वालों को लगा के ये झूठ की अपनी बड़ाई हांक रहा है। फिर जुराइमी ने पुलिस वालों से कहा कि तुम्हें मेरी पहुँच का अंदाजा नहीं है तुम नहीं जानते की मैंने एक नेता का भी कत्ल किया है लेकिन फिर भी अभी तक मैं पुलिस वालों की पकड़ से दूर हूँ। जुराइमी की ये बात एक पुलिस वाले को खटक सी गई चूंकि उस पुलिस वाले को मजलान इदरीस के गायब होने की बात का पता था। उसने फिर तुक्का सा फेका और जुराइमी की बात का मेल मजलान इदरीस के गायब होने से मिलन करने लगा और उसमे कुछ समानता दिखी। तब तक जुराइमी को समझ आता की उसने पुलिस वालों को क्या कुछ बोल दिया है उससे पहले पुलिस वालों ने अपना काम शुरू कर दिया। फिर क्या था पुलिस वालों ने उसे अंदर ले जाकर थर्ड डिग्री दिया तो जुराइमी तोते की तरह सब बोलने लगा।
जुराइमी ने बताया के उसने अपने हाथों ईदृश साहब का कत्ल नहीं किया है। वह तो बस मजलान इदरीस दफनाने के क्रम मे उन लोगों के साथ था। पुलिस वालों ने पूछा के अगर तुमने कत्ल नहीं किया तो फिर कत्ल किसने किया था? इसपर जुराइमी ने मोना फैंडी का नाम लिया। पुलिस तुरंत ही जुराइमी को साथ ले मोना फैंडी के घर पर पहुँचती है उस समय मोना फैंडी और उसके पति दोनों घर पर ही मौजूद थे। पुलिस ने उन दोनों को तुरंत गिरफ्तार किया फिर पूछताछ करती है। चूंकि मोना फैंडी ये समझ चुकी थी कि उसका भांडा फुट चुका है इसलिए उसने भी सब कुछ बताने मे ही भलाई समझी फिर पुलिस को उस जगह पर ले गई जहां पर ईदृश साहब को दफनाया था। वहाँ पर मजलान इदरीस का शरीर मिल गया। फिर पुलिस ने चारशीट न्यायालय मे जमा कर मोना फैंडी, उसके पति और जुराइमी पर सुनवाई प्रारंभ कर दिया। ये सुनवाई तकरीबन आठ सालों तक चलता रहा।
इस आठ सालों तक मोना फैंडी जेल मे रही। लेकिन इस दौरान भी वो अखबारों के पहले पन्ने पर छाई रही। अखबारों का कहना था की मोना फैंडी ने काला जादू करने मे महारथ हासिल कर ली है और वो जेल मे भी काला जादू की शक्तियों से रात रात भर जेल से बाहर रहती है। 8 साल के बाद जब न्यायालय ने अपना फैसला दिया तो उसमे तीनों के लिए फंसी की सजा थी। इसे सुनते ही मोना फैंडी के पति और जुराइमी दोनों रोने लगे लेकिन मोना फैंडी वहीं पर जोर - जोर से हसने लगी। उसके बाद न्यायाधीश की तरफ अपने कड़े रुख को दर्शाते हुए कहती है कि "मुझे कोई नहीं मार सकता" उसकी इस बात का असर लोगों पे बहुत गहरा हुआ लोग वैसे ही उससे डरते थे इस घटना के बाद वे और भी डरने लगे।
धीरे - धीरे समय बीतता गया और फाँसी का समय नजदीक आ गया। तारीख थी 1 नवेम्बर 2001 की जब रश्म के अनुसार फाँसी के एक दिन पहले फाँसी वाले कैदियों से उनकी आखिरी मंशा पूछी जाती है। इसपर मोना फैंडी ने अपने माता - पिता से मिलने और KFC का चिकन जिसमे चिकन के छाती का हिस्साऔर साथ मे मसला हुआ आलू खाने की मंशा जताई। पुलिस वालों को बड़ा ताज्जुब हुआ चूंकि इतने बरसों मे पहली बार मरने से पहले किसी व्यक्ति ने कुछ पसंदीदा खाने की फरमाइश की थी। जबकि मोना के पति और जुराइमी ने सिर्फ अपने रिस्तेदारों से मिलने की बात कही।
मोना फैंडी के माता - पिता उसके पसंद का चिकन लेकर जेल मे मोना फैंडी से मिलने आते है मोना की आँखों मे किसी प्रकार का पछतावा नहीं था, न मौत का खौफ वह बिल्कुल सामान्य तरीके से अपने माता पिता से मिलती है चिकन कहती है फिर उन्हे अलविदा कह कर अपने जगह पर आ कर बैठ जाती है। अगली सुबह फाँसी थी जिसकी पुरी तैयारी हो चुकी थी।
सुबह के 5.55 मिनट पर उन तीनों को फाँसी के तखते पर खड़ा किया गया। उनके हाथ और पैर बंधे हुए थे। सिर्फ उनके मुह को ढाका जाना बाँकी था, जेलर ने तीनों से आखिरी बार भगवान से प्रार्थना करने को कहा। मोना के पति और जुराइमी दोनों काँपते पैरों से भगवान को याद करने लगे, जेलर ने मोना से भी प्रार्थना करने को कहा तो मोना जोर से हस्ते हुए बोली "मैं नहीं मरने वाली मुझे प्रार्थना की कोई जरूरत नहीं"। फिर उन तीनों के चेहरे पर काले रंग का कपड़ा डाल उन्हे फाँसी पर ठीक 2 नवेम्बर 2001 समय सुबह के 5 बज 59 मिनट पर लटका दिया गया और तीनों मारे गए।
इसके बाद आज भी इंडोनेशिया मे मोना फैंडी की वो आखरी मांग और उसके आखरी शब्द "मैं कभी नहीं मरने वाली (Saya tidak akan mati)" को याद कर डरते है। इसके साथ आज की ये कहानी को मैं विराम देता हूँ । मिलता हूँ अपने अगले ब्लॉग मे, तब तक के लिए....
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