दिल्ली के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी चोरी
(भाग - 01)
दिल्ली की आज तक की सबसे बड़ी चोरी एक कैश वैन की चोरी थी मगर दिल्ली पुलिस से मिली जानकारी के हिसाब से 24 सितंबर की ये चोरी आज तक के दिल्ली के इतिहास की सबसे बड़ी चोरी मे दर्ज हो चुकी है । चूंकि इस तरह की चोरी कोई आम चोरी नहीं है इसे अगर प्रेरणा श्रोत "मनी हाइएस्ट" चोरी या कोई फिल्मी चोरी कहा जाए तो भी गलत न होगा।
दिल्ली मे हजरत निजामुद्दीन दरगाह के पास भोगल नाम का एक इलाका है । इस इलाके का सबसे बड़ा ज्वेलरी का दुकान "उमराव सिंह ज्वेलरी शॉप" है । ये दुकान करीब 75 सालों से अपना कारोबार वहाँ चला रहा होता है । इस दुकान मे लोग दूर - दूर से खरीदारी के लिए आते थे, इसने पिछले 75 सालों मे अपने सभी ग्राहकों के बीच मे अपनी एक विश्वासनीयता को बनाया था । इस ज्वेलेरी की दुकान दो लोगों के द्वारा चलाया जाता था एक खुद उमराव सिंह है, और दुशरे है महावीर जैन और दुकान का नाम इसके पहले मालिक उमराव सिंह के नाम से था ।
सितंबर का महिना खत्म होने को था और त्योहारों का समय निकट आ रहा था इसलिए उन्होंने अपने दुकान के लिए सोना, चांदी इत्यादि के गहने, सिक्कों और हीरे, मोती, जवाहरात एवं तरह - तरह के कीमती पत्थरको स्टॉक कर लिया था । चूंकि गहनों की सबसे ज्यादा विक्री का समय दशहरा, धनतेरस, दिवाली फिर दिवाली खत्म होते ही शादियों के ऑर्डर भी आने शरू हो जाते है।
भोगल के मार्केट एसोसिएशन ने एक नियम काफी समय से लागू कर रखा था की दुकाने रविवार के दिन खुली रहेंगी चूंकि रविवार को सबकी छुट्टी रहती है इसलिए उनको खरीदार के लिए अनुकूल और पर्याप्त समय प्राप्त होगा और सोमवार को दुकानों की सप्ताहिक छुट्टी रहेंगी। 24 सितंबर, रविवार की रात तय व्यक्त 8 बज कर 30 मिनट पर दुकान बंद कर दी गई । दुकान बंद होने के पश्चात वहाँ के सारे कर्मी वहाँ से चले गए । थोड़ी देर बाद उमराव सिंह और महावीर जैन भी अपने घर को रवाना हो गए । चूंकि अगला दिन सोमवार था इसलिए दुकान खुलनी नहीं थी अब सीधे दुकान 26 सितंबर सुबह के 10 बजकर 30 मिनट पर खुलनी थी ।
उमराव सिंह ज्वेलरी एक चार मंजिला इमारत मे थी । जिसमे गहनों का शोरूम ग्राउन्ड फ्लोर पर था । ग्राउन्ड फ्लोर के पिछले हिस्से मे ही उनका स्ट्रॉंग रूम होता है जिसमे सारे जवाहरात और सारे गहने रखे होते है । बाँकी के चारों फ्लोर भी इन्होंने गहनों के अलग अलग कामों के लिए रखा हुआ था । जिसमे गहनों की सफाई से लेकर पोलिश, डेजाइन इत्यादि सभी काम एक ही इमारत के अंदर हो जाया करती थी। उमराव सिंह ज्वेलर की जो दुकान थी उसके दोनों तरफ के जो मकान थे उनकी दीवारे उस दुकान की दीवारों से पूरी तरह से मिली हुई थी । जैसा के दिल्ली के ज्यादातर घरों को देखा जा सकता है । ग्राउन्ड फ्लोर मे जहां पर स्ट्रॉंग रूम बनाया गया है उसकी 3 दीवार लोहे की और एक दीवार सीमेंट की बनी हुई है।
मंगलवार 26, सितंबर की सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर दुकान के सारे कर्मी और मालिक दुकान पर पहुंचे और ताला को खोल दुकान के शटर को उठाया । जैसे ही शटर को उठाया जाता है की अंदर से एक धूल का गुबार सा बाहर आया, जैसा की दुकान के भीतर कोई तूफान सा उठा हो। सभी चौंके चुकी दुकान बंद करते व्यक्त दुकान बिल्कुल साफ - सुथरा था । इसमे न तो कोई खिड़की थी और न ही कोई झरोखा फिर ये धूल यह कैसे ।
दुकान के कांच के दरवाजे को खोल कर कुछ देर छोड़ा गया धूल कुछ कम हुई और थोड़ा - थोड़ा कुछ दखाने लगा तो उनके पैरों तले जमीन ही गायब हो गई। उन्होंने देखा तो सारे शो-केश से उसमे रखे गए सारे जेवर गायब थे । ये देख वे लोग अंदर की तरफ भागे अंदर का नजारा उनकों बदहवास करने के लिए काफी था । अंदर का स्ट्रॉंग रूम खुला हुआ था और उसके अंदर के सभी 32 लॉकर टूटे हुए थे तथा वो भी बिल्कुल खाली पड़े थे । जब वे स्ट्रॉंग रूम की तरफ जा रहे थे तो उससे ठीक पहले एक डेढ़ फिट का एक सुरंग था जो की स्ट्रांग रूम के सीमेंट के दीवार मे किया गया था उसके अंदर का तीनों लोहे की दीवार बिल्कुल सुरक्षित था। शायद इसे ड्रिल करके बनाया गया होगा जिससे पूरे शोरूम मे धूल भर गया होगा और यही उन चोरों के स्ट्रॉंग रूम के भीतर और बाहर जाने का रास्ता होगा।
पुलिस को फोन किया गया, थोड़ी देर बाद पुलिस आई और दुकान के पूरी इमारत को अपने कंट्रोल मे ले लिया। चूंकि उस चोरी मे कितने का नुकसान हुआ था इसका सही -सही अंदाजा सिर्फ उस दुकान के मालिक को था । जैसा की उन्होंने अंदाजा लगाया की 30 किलो से ज्यादा के करीब तो सिर्फ सोना था, फिर हीरे थे, कीमती पत्थर थे, चांदी था। तो इन सबका हिसाब लगाया गया, तो कुल मिलाकर 25 करोड़ रुपये के सोना, चांदी, हीरे, जवाहरात की चोरी हुई थी इसके साथ कैश काउन्टर पर करीब 5 लाख रुपये थे उसको भी चोरों ने ले लिया था । चोरों ने बड़े ही आराम से और पूरी तसल्ली से उस दुकान की तलाशी ली थी।
पुलिस ने पहले तो सोच के कोई छोटी - मोटी चोरी होगी लेकिन जब उनको पता चल के चोरी तो 25 करोड़ के जवाहरातों की है तो उनके हाथ पैर भी ठंढे पड़ गए । इसलिए उन्होंने भी अपने बड़े अधिकारी को ही बुलाना उचित समझा । इसकी खबर पुलिस कमिसनर तक पहुंची । पोलिस पद दबाब बढ़ता जा रहा था इसलिए एक टीम का गठन किया गया जिसके जिम्मे ये चोरी दिया गया ।
अब तफतीश शरू होती है । चूंकि दुकान के तीनों तरफ मकानों की दीवारे थी और सामने मे सड़क थी और दुकान के शटर का ताला भी बिल्कुल सुरक्षित था। तो चोर ने उस इमारत के भीतर आने के लिए कौन सा रास्ता चुना था? जल्द ही पोलिस को इस सवाल का जवाब भी मिल गया । जब वे छत पर गए तो देखा कि, छत के दरवाजे का ताला टूटा हुआ है और दरवाजा पूरा खुला हुआ है । इससे ये बात तो साबित हो चुकी थी के चोर ने छत का ताला तोड़ ऊपर के सारे फ्लोर को तलाशी लेता हुआ सीढ़ी के रास्ते नीचे ग्राउन्ड फ्लोर तक पहुँच था ।
चोर अपने साथ ड्रिल मशीन, कटर मशीन, हथोड़ा इत्यादि सभी औजार ले कर आए थे। चूंकि स्ट्रॉंग रूम मे कुल 4 दीवार थी जिसमे से एक सीमेंट थे बाँकी के लोहे के बने थे और स्ट्रॉंग रूम के दरवाजे पर भी ताला लगा था तो उन्होंने स्ट्रॉंग रूम के भीतर जाने के लिए डेढ़ फिट का स्ट्रॉंग रूम के दीवार मे एक छेद किया जिससे एक आदमी आराम से भीतर जा सके फिर कटर मशीन से स्ट्रॉंग रूम के सभी लॉकर को काटे। फिर चोरी करने के बाद बड़े ही आराम से उसी सीढ़ी के रास्ते छत के रास्ते वो वहाँ से निकाल गए ।
अब बात ये थी के ये चोर छत तक कैसे पहुंचे, और तो और इस दुकान मे कुल 6 सीसी टीवी कैमरा लगा हुआ था मगर ये किसी कैमरा मे कैद नही हुए । सिर्फ एक कैमरा मे दो लोग दिखे और उन्होंने भी मुह को पूरी तरह से धक रखा था इस लिए ये फोटो पोलिस के किसी काम की नही थी । क्यूँ की इसमे इनका चेहरा बिल्कुल नही दिख रहा था । और ये फोटो भी तब आई होगी जब वे चोर शायद से कैमरा का कनेक्शन काटने जा रहे होंगे । बिल्कुल फिल्मी तरीका अपनाया था इन्होंने । हर चीज की बराबर से तयारी कर रखी थी । चोरों ने सबसे पहले इमारत मे घुसने से पहले पूरी इमारत की बिजली काट दी, फिर सीसीटीवी कैमरा का कनेक्शन काटा, फिर अलार्म सिस्टम को काटा । उन्होंने हर उस चीज को पहले निसक्रिय किया जो उनकी चोरी मे रुकावट डाल सकती थी। रविवार की रात थी बिल्कुल सन्नाटा पसरा होगा क्यूँकी सोमवार को बाजार बंद रहेगा।
पुलिस के पास सबसे बाद सवाल था की आखिर चोर छत पर पहुंचे कैसे तो ऊपर दिए फोटो मे देखेंगे तो पता चलता है की दाहिने ओर की इमारत भी चार मंजिला है और वहाँ की सीढ़िया खुली हुई है वो लॉक नही होती मतलब के कोई भी कभी भी उससे ऊपर आ - जा सकता है ऊपर किरायेदार रहते है उनसे पूछताछ की गई तो उनको कुछ पता नही था । उधर अगर दुकान के बायी ओर देखा जाए तो दुकान की छत थोड़ी ऊंचाई पर है जहां रस्सी के जरिए जाया जा सकता है। परंतु इसका कोई प्रमाण वहाँ नही मिला । पूछ ताछ से एक ओर बात का खुलाशा हुआ के चोरी के रात एक एस यू वी कार रहस्यमयी तरीके के वहाँ के चक्कर लगा रही थी । पोलिस को उस पर भी शक है की वो कार भी चोरों की ही होगी। चूंकि माल ज्यादा था तो चलके वो इतना माल नही ले जा सकते ।
पुलिश की टीम और उनकी फोरेंसिक टीम काम मे लगी हुई है और छन बिन कर रही है । अंतिम अपडेट मे बस इतना ही कहा जा सकता है की पुलिश ने उस दुकान से सटे जीतने भी छत है वहाँ रह रहे लोगों के उंगलियों के निशान लिए है और उनके आसपास के मिट्टी भी जांच के लिए लिए है ।
आगे जैसा भी अपडेट आता है आपसे जरूर शेयर करूंगा । तब तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए । मिलते है अगले ब्लॉग मे ।
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