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कालचक्र: समय के कैदी

कालचक्र: समय के कैदी

वो समय में गिरता हुआ, समय के प्रहरी उसका पीछा करते हुए, और अंत में वह अपने कमरे में जागते हुए, कलाई पर रहस्यमयी निशान के साथ।

आज मैं आपको एक ख्यालों की दुनिया में ले चलता हूँ। सोचो अगर आपको अपने भूतकाल को बदलने का मौका मिल जाए, तो आप क्या-क्या बदलना चाहेंगे? यह कहानी एक लड़के की है जिसे एक रात अचानक से ऐसा ही मौका मिला, लेकिन जैसा कि कहते हैं, "अगर आपको कुछ पाना है तो उसकी कीमत भी आपको ही चुकानी पड़ती है।"

रवि, एक 22 वर्षीय युवक, जिसने अपनी जिंदगी में बहुत से अफसोस झेले थे। उसकी जिंदगी एक अंधेरे गलियारे की तरह थी, जहां हर मोड़ पर पछतावे की परछाइयाँ थीं। एक रात जब वह अपने कमरे में बैठा पुरानी यादों में खोया हुआ था, अचानक उसकी नजर मेज पर रखी एक रहस्यमयी घड़ी पर पड़ी। यह घड़ी उसने कभी खरीदी नहीं थी। जैसे ही उसने उसे उठाया, घड़ी की सुइयाँ अपने आप घूमने लगीं और एक अजीबोगरीब रोशनी से पूरा कमरा भर गया।

रवि को लगा जैसे वह किसी दूसरे समय में खिंचता चला जा रहा है। जब उसने आँखें खोलीं, तो वह अपने स्कूल के पुराने मैदान में खड़ा था—ठीक वही दिन जब उसने अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ झगड़ा किया था। उसे यह समझते देर नहीं लगी कि यह घड़ी उसे उसके अतीत में ले आई थी और अब उसके पास मौका था अपने किए हुए गलतियों को सुधारने का।

बिना समय गँवाए, उसने अपने दोस्त से माफी मांग ली और चीजें पहले से बेहतर हो गईं। लेकिन जैसे ही उसने घड़ी को फिर से छुआ, वह अचानक एक और समय में चला गया। इस बार वह अपने कॉलेज के दिन में था—वही दिन जब उसने अपने जीवन का सबसे बड़ा फैसला गलत लिया था। उसने उस गलती को ठीक किया, और इस बदलाव ने उसकी जिंदगी को और भी बेहतर बना दिया।

लेकिन जैसे-जैसे वह अपनी पुरानी गलतियों को सुधारता गया, उसे महसूस हुआ कि हर बदलाव के साथ कुछ अनहोनी भी घट रही थी। कुछ चीजें, जो कभी उसकी जिंदगी का हिस्सा थीं, अब गायब हो रही थीं। वह धीरे-धीरे उन लोगों को खोने लगा जो कभी उसके करीब थे। एक दिन, जब उसने अपने परिवार के साथ बिताए गए एक दुःखद पल को बदलने की कोशिश की, तो अगली बार जब वह वर्तमान में लौटा, तो उसके माता-पिता उसे पहचान ही नहीं पाए।

अब वह इस दुविधा में था—क्या वह अपनी जिंदगी की गलतियों को सुधार कर खुशहाल भविष्य बना सकता है, या फिर उसे अपनी पुरानी जिंदगी में लौटना होगा, जहाँ उसकी पहचान, उसके रिश्ते और उसकी यादें सलामत थीं? घड़ी की सुइयाँ लगातार घूम रही थीं, और उसके पास फैसला लेने के लिए बहुत कम समय था।

अचानक, घड़ी ने एक आखिरी बार चमक बिखेरी और रवि को वापस उसी रात में ले आई, जब उसने इसे पहली बार उठाया था। लेकिन अब सबकुछ अलग था। उसके जीवन की कुछ घटनाएँ बदल चुकी थीं, पर कुछ चीजें पहले जैसी ही थीं। घड़ी अब रहस्यमयी रूप से गायब हो चुकी थी।

रवि को अब अहसास होने लगा था कि घड़ी सिर्फ एक साधारण वस्तु नहीं थी। वह जितना ज्यादा अतीत को बदलने की कोशिश कर रहा था, उतना ही ज्यादा कुछ भयावह चीजें उसके आसपास होने लगी थीं।

अब हर बदलाव के साथ, अजीब घटनाएं घट रही थीं—सड़क पर चलते हुए अजनबियों के चेहरे धुंधले दिखने लगे, उसकी यादों में कुछ अधूरे पल जुड़ने लगे जो उसने कभी जिए ही नहीं थे। वह अपने घर लौटा तो पाया कि उसके कमरे में रखी चीजें वैसी नहीं थीं जैसी पहले हुआ करती थीं। कुछ किताबें गायब हो गई थीं, कुछ ऐसी तस्वीरें रखी थीं जो उसने कभी खिंचवाई ही नहीं थीं।

रवि ने तय किया कि वह अब और बदलाव नहीं करेगा। उसे अपनी असली ज़िंदगी चाहिए थी, चाहे उसमें गलतियाँ ही क्यों न हों। उसने घड़ी को फेंकना चाहा, लेकिन जैसे ही उसने उसे उठाया, घड़ी के भीतर से एक तेज़ चीख सुनाई दी—ऐसी चीख जो इंसानी नहीं लग रही थी।

अचानक, उसके सामने अंधेरा छा गया। वह खुद को एक सुनसान, ठंडे कमरे में खड़ा पाया। कमरे की दीवारों पर सैकड़ों घड़ियाँ लटक रही थीं, और हर एक में कोई न कोई इंसान फंसा हुआ दिख रहा था—उनकी आँखें डर से फटी हुई थीं, जैसे वे किसी भयानक जाल में फँस चुके हों।

"तुमने समय के साथ छेड़छाड़ की है, अब इसकी सज़ा तुम्हें भुगतनी होगी!"

यह आवाज़ हवा में गूँज उठी। रवि ने घड़ी को ज़मीन पर फेंक दिया, लेकिन वह अपने हाथ से चिपकी रही। उसकी सुइयाँ बेतहाशा घूमने लगीं, और रवि को महसूस हुआ कि उसका शरीर हल्का होता जा रहा है, जैसे वह खुद समय के भीतर समाने वाला हो।

उसने चीखकर मदद के लिए पुकारा, लेकिन कोई नहीं था। वह धीरे-धीरे धुंधला होने लगा, जैसे वह किसी अज्ञात समय में समा रहा हो।

अचानक, रवि को अपनी पुरानी ज़िंदगी की एक झलक दिखाई दी—अपने माता-पिता, अपने दोस्त, अपने कॉलेज के दिन। उसे समझ आ गया कि अगर वह समय के चक्र से बाहर निकलना चाहता है, तो उसे अपनी सभी बदली हुई घटनाओं को पूर्ववत करना होगा।

उसने ज़ोर से घड़ी पर मुक्का मारा और चीखते हुए कहा, "मैं समय से छेड़छाड़ नहीं करना चाहता! मुझे मेरी ज़िंदगी वापस दो!"

घड़ी की सुइयाँ उल्टा घूमने लगीं, और रवि को एक झटके में अंधेरे से बाहर खींच लिया गया।

फिर वही रात... लेकिन सब कुछ बदल चुका था

रवि अपने कमरे में वापस आ गया था। घड़ी अब वहाँ नहीं थी। उसने चारों ओर देखा—हर चीज़ वैसी ही थी जैसी होनी चाहिए थी। लेकिन अब उसके पास एक सीख थी।

वह समझ चुका था कि अतीत को बदलने की कोशिश करना खतरनाक हो सकता है। हर गलती का एक कारण होता है, और हर अनुभव हमें कुछ न कुछ सिखाने के लिए होता है।

रवि ने खिड़की से बाहर झांका, उसकी धड़कनें अभी भी तेज़ थीं। उसे लग रहा था कि यह सब एक सपना था, लेकिन घड़ी की हल्की "टिक-टिक" की आवाज़ अब भी कमरे में गूंज रही थी।

उसने धीरे-धीरे अपने कमरे का कोना-कोना देखा, लेकिन घड़ी कहीं नहीं थी। पर आवाज़ तेज़ होती जा रही थी, जैसे कोई उसे बुला रहा हो।

"शायद यह सिर्फ मेरा भ्रम है," उसने खुद को दिलासा दिया और बिस्तर पर लेट गया।

लेकिन जैसे ही उसने आँखें बंद कीं, उसे लगा कि कोई उसके कमरे में खड़ा है।

वह घबराकर उठा और तेजी से कमरे की लाइट जला दी। लेकिन वहाँ कोई नहीं था।

पर तभी, उसकी मेज पर कुछ अजीब सा दिखा—एक पुराना, जला हुआ कागज

उसने कांपते हुए उसे उठाया। उस पर कुछ लिखा था:

"समय के नियम तोड़ने वालों को समय कभी माफ़ नहीं करता। तुमने अपने अतीत को बदलने की कोशिश की थी, अब समय तुम्हें अपने भीतर समाने के लिए तैयार है। अगला चक्र जल्द शुरू होगा।"

रवि के हाथ से कागज गिर गया। उसे महसूस हुआ कि यह खेल अभी खत्म नहीं हुआ था—बल्कि यह तो सिर्फ शुरुआत थी।

अगली सुबह, रवि ने सोचा कि अब सब ठीक हो गया है, लेकिन जब वह घर से बाहर निकला, तो उसे एक अजीब बदलाव महसूस हुआ। सड़कें वैसी नहीं थीं जैसी वह याद कर सकता था, लोगों के चेहरे थोड़े अलग लग रहे थे।उसकी खुद की बिल्डिंग का रंग बदल चुका था!

उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने जल्दी से अपने फोन में तारीख देखी—यह 2025 नहीं, बल्कि 2027 दिखा रहा था!

"नहीं! यह कैसे हो सकता है?"

अब उसकी समझ में आ गया कि जब उसने घड़ी को नष्ट करने की कोशिश की थी, तब वह समय से पूरी तरह आज़ाद नहीं हुआ था। समय ने अब उसके अस्तित्व के साथ खेल खेलना शुरू कर दिया था।

रवि घबराकर अपने पुराने दोस्त रोहन के पास भागा, लेकिन जब उसने उसके घर की घंटी बजाई, तो रोहन ने दरवाजा खोला और कहा—

"तुम कौन हो?"

रवि के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

अब उसकी पहचान इस दुनिया से मिटने लगी थी। जो भी अतीत उसने बदला था, उसका असर अब उस पर ही हो रहा था। वह सिर्फ एक "अस्तित्वहीन परछाईं" बनकर रह गया था, जिसे कोई पहचान नहीं पा रहा था।

तभी उसे अपनी परछाईं में कुछ अजीब सा दिखा—उसका अक्स पूरी तरह काला पड़ चुका था, और उसकी आँखें चमक रही थीं।

"समय ने तुम्हें अपना हिस्सा बना लिया है, रवि। अब तुम न तो पूरी तरह जिंदा हो, न पूरी तरह मर चुके हो!"

रवि के शरीर में ठंड सी दौड़ गई। रवि का दिमाग सुन्न पड़ चुका था। उसकी परछाईं में जो बदलाव आया था, वह किसी सामान्य चीज़ का संकेत नहीं था। वह अब एक ऐसी दुनिया में था, जहाँ उसका अस्तित्व धुंधला हो चुका था, उसकी पहचान मिट रही थी, और समय उसके खिलाफ साजिश रच रहा था।

"क्या मैं अब कभी अपनी असली दुनिया में वापस जा पाऊँगा?"

परछाईं की आवाज़ उसके कानों में गूंज रही थी—"अब तुम समय के कैदी हो, रवि। तुम्हारे पास दो ही रास्ते हैं—या तो खुद को इस नई दुनिया के हिसाब से ढाल लो, या फिर हमेशा के लिए समय के अंधकार में खो जाओ!"

रवि ने हिम्मत जुटाकर अपनी घड़ी देखी—लेकिन यह वही घड़ी नहीं थी जो उसने पहले देखी थी। इसकी सुइयाँ उल्टी दिशा में चल रही थीं, जैसे यह अब भी उसे किसी और समय में धकेलने वाली हो।

"अगर यह घड़ी ही मेरे समय के साथ छेड़छाड़ का कारण बनी, तो शायद इसका कोई तोड़ भी इसी में छिपा होगा," उसने सोचा।

वह एक खाली गली में गया, जहाँ कोई नहीं था। घड़ी को ध्यान से देखने पर उसमें एक छोटी सी दरार दिखाई दी। अचानक, उसे महसूस हुआ कि उसकी उंगलियाँ धीरे-धीरे पारदर्शी होती जा रही थीं।

"अगर मैंने जल्द ही इस पहेली को नहीं सुलझाया, तो मैं हमेशा के लिए समय के अंधेरे में समा जाऊँगा!"

तभी, हवा में एक गूंज सुनाई दी। चारों ओर से अंधेरे में छिपी हुई रहस्यमयी आकृतियाँ निकलने लगीं। उनके शरीर धुंए की तरह थे, और उनकी आँखें जलते अंगारों की तरह चमक रही थीं।

"तुमने समय के नियम तोड़े हैं। अब तुम्हें इसके लिए दंड मिलेगा!"

वे धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगे।

रवि ने जल्दी से घड़ी को घुमाने की कोशिश की, लेकिन उसकी उंगलियाँ अब लगभग गायब हो चुकी थीं।

"नहीं! मुझे अपनी दुनिया में वापस जाना है!" उसने ज़ोर से चिल्लाया।

अचानक, घड़ी में एक दरार और बढ़ गई और उसमें से एक तेज़ रोशनी निकली।

रोशनी के भीतर से एक रहस्यमयी आवाज़ आई—"यदि तुम अपने अतीत को स्वीकार करने और उसे फिर से न बदलने का वचन दो, तो हम तुम्हें एक आखिरी मौका दे सकते हैं।"

रवि के पास कोई और चारा नहीं था। उसने चीखते हुए कहा, "हाँ! मैं कुछ भी बदलने की कोशिश नहीं करूँगा! बस मुझे मेरी असली दुनिया में लौटा दो!"

अचानक, घड़ी की सुइयाँ तेज़ी से घूमने लगीं। चारों ओर सब कुछ धुंधला पड़ गया, और रवि को लगा जैसे वह किसी गहरे अंधकार में गिर रहा है।

फिर वही रात… लेकिन कुछ अलग था,

रवि ने हड़बड़ाकर अपनी आँखें खोलीं। वह अपने कमरे में था, ठीक उसी जगह जहाँ उसने पहली बार घड़ी को उठाया था। लेकिन इस बार, मेज पर कोई घड़ी नहीं थी।

उसने जल्दी से अपना फोन उठाया—तारीख वही थी जो होनी चाहिए थी। उसने बाहर झाँका, सड़कें और लोग बिल्कुल वैसे ही थे जैसे वह याद कर सकता था।

"क्या यह सब सच में हुआ था? या सिर्फ एक सपना था?"

लेकिन फिर, उसने अपनी कलाई की ओर देखा—वहाँ एक हल्की सी जलने की निशान थी, ठीक उसी जगह जहाँ उसने घड़ी पहनी थी।

रवि समझ गया कि यह कोई सपना नहीं था। समय ने उसे एक दूसरा मौका दिया था, लेकिन एक चेतावनी के साथ।

अब उसे तय करना था—क्या वह अपने अतीत को स्वीकार करेगा और आगे बढ़ेगा?

या फिर…

कहीं न कहीं, वह घड़ी अब भी उसका इंतजार कर रही थी?

अगर ये कहानी आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें और मुझे कमेन्ट मे जरूर बताए और अगर इस कहानी को आगे बढ़ाना चाहते है एक नए मोड के साथ जैसे - क्या होगा अगर घड़ी फिर से किसी और के हाथ लग जाए? या फिर क्या रवि को फिर से समय के साथ खेलना पड़ेगा? 

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