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राजकुमारी रत्नवती और भानगड किले का रहस्य

 

 भानगढ़: भारत का सबसे भूतिया किला

अलवर जिले के भानगढ़ का किला आखिर कैसे बना भारत का सबसे डरावना किला?

हम राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ के किले तक पहुँचने जा रहे थे, सरिस्का टाइगर रिजर्व से होते हुए, हम अजबगढ़ किले से गुजर चुके थे। चूंकि सूर्यास्त के बाद भानगढ़ में प्रवेश प्रतिबंधित है, इसलिए हम जल्दी में थे। मैं अजबगढ़ किले पर नहीं गया था कभी, लेकिन मैंने इसके बारे मे पता लगाने के लिए भेड़ चराने वाले एक स्थानीय लड़के से बात कि उसने मुझे बताया। चूंकि नीचे से मुझे चार दीवारों के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। अगर मुझे उस किले के बारे मे पहले से पता हो, जिसमें मैं की जा रहा था, तो शायद उस जगह को जनने का मैं और अधिक प्रयास करता।

भानगढ़ किले की ड्राइव बड़ी ही भयानक लग रही थी। हम एक ऐसे गांव से गुजर रहे थे जिसे जाहिरा तौर पर बसाया गया था। मुख्य सड़क खूबसूरत हवेलियों के खंडहरों से ढकी हुई थी। हम गाड़ी से निकाल बाहर से उस किला का मुआयना करने लगे वहाँ पर जटिल नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजों थे, जिनमें बड़े-बड़े जंग लगे ताले लगे थे।

भानगढ़ का ये किला आमेर के कछवाहा शासक राजा भगवंत सिंह ने अपने छोटे बेटे माधो सिंह के लिए 1573 ई. में बनवाया था। माधो सिंह के भाई प्रसिद्ध मान सिंह थे, जो की अकबर के सेनापति थे। माधो सिंह का उत्तराधिकारी उसका पुत्र छत्र सिंह हुआ। छत्र सिंह के पुत्र अजब सिंह ने अजबगढ़ का किला बनवाया था।

हालांकि दोपहर का समय था, इसलिए हमने एक स्थानीय गाइड को काम पर रखा। गाइड सबसे रंगीन किस्से और सनसनीखेज कहानी हमे बताई। 

गाइड ने हमें सुंदर राजकुमारी रत्नावती के बारे में बताया, जो छत्र सिंह की बेटी थी। वह राजस्थान का गहना थी। रत्नावती अपने सौतेले भाई अजब सिंह से बहुत छोटी थीं। उनकी सुंदरता और रमणीय स्वभाव के किस्से दूर-दूर तक फैले और उन्हें शादी के कई प्रस्ताव भी आए। 

एक तांत्रिक पुजारी, जो काला जादू में पारंगत था, उसको राजकुमारी रत्नावती से प्यार हो गया। लेकिन यह जानते हुए कि उसका सुंदर राजकुमारी के साथ विवाह कोई मौका नहीं होगा, इसलिए उस तांत्रिक ने राजकुमारी रत्नावती पर जादू करने का निश्चय किया। जिसके लिए उसने राजकुमारी की दासी का पीछा किया फिर उसने देखा के दासी गाँव में राजकुमारी के  लिए इत्र ख़रीद रही है यह देख उसने उस पर जादू कर दिया ताकि रत्नावती को उससे प्यार हो जाए। जब रत्नावती को इस बात का पता चला और उन्होंने बोतल फेंक दी। जो कि एक शिलाखंड के रूप में बदल गया और उस तांत्रिक से जा टकराया। तांत्रिक उस शिलाखंड के नीचे कुचला गया, लेकिन उस तांत्रिक ने मरने से पहले राजकुमारी तथा उसके परिवार एवं पूरे गांव को श्राप दिया की पूरे भानगढ़ का शर्वनाश हो जाएगा। तांत्रिक के मरने के एक वर्ष बाद हीं, भानगढ़ और अजबगढ़ की सेनाओं के बीच एक भयंकर लड़ाई लड़ी गई, जिसमें राजकुमारी रत्नावती और उनके अधिकांश सेना की मृत्यु हो गई।

गाइड थोड़ा गंभीर मुद्रा मे होते हुए हमें बताया कि इस श्राप के कारण गांव या किले में किसी का पुनर्जन्म नहीं हो सकता था, इसी कारणवश इस किले मे भूतों का निवास हो गया है। अगर कोई ग्रामीण छत बनाने की कोशिश करता है, तो वह रहस्यमय तरीके से गिर जाता है।

हमें एक और कहानी भी सुनाई गई के एक साधु जो गुरु बालू नाथ के पहाड़ी की चोटी पर रहते थे, जिस पर राजा भगवंत सिंह ने अपने किले का निर्माण किया था। उस किले निर्माण होने देने की एकमात्र शर्त यह थी कि उनके आवास पर कभी उस किले कि छाया नहीं पड़े। इस शर्त को अजब सिंह को छोड़कर सभी ने सम्मान सहित उसका मान रखा, अजब सिंह ने किले में जो स्तंभ जोड़े थे वो उस  तपस्वी के घर पर छाया डालते थे। क्रोधित साधु के श्राप ने किले और आसपास के गांवों को बर्बाद कर दिया। तांत्रिक की छतरी के नाम से जानी जाने वाली एक छोटी पत्थर की झोपड़ी से उस किले का नजारा दिखाई देता है।

सच्चाई यह प्रतीत होती है कि छत्र सिंह की मृत्यु के बाद, चूंकि अजब सिंह ने पहले ही एक नया किला स्थापित कर लिया था, इसलिए क्षेत्र की आबादी कम हो गई। 1783 में एक अकाल ने शेष ग्रामीणों को नए रास्ते तलाशने के लिए मजबूर किया। 1720 में, मान सिंह के पोते राजा जय सिंह ने भानगढ़ को अपनी संपत्ति से जोड़ लिया।


जब तक हमें इन कहानियों से रूबरू कराया गया, तब तक हम खंडहरों से ढकी एक लंबी सड़क से गुजर चुके थे। अब हम जौहरी बाजार मे थे, ये नाचने वाली लड़कियों के घर (नचनी की हवेली) रूप मे विख्यात था, जैसा के हमे गाइड ने बताया। कुछ शानदार बरगद के पेड़ भी थे। किले को देखने के लिए हमने बड़े ही प्रभावशाली दिखने वाले प्रवेश द्वार में प्रवेश किया। भले ही किला खंडहर में था, लेकिन इसकी खोज के लिए तीन भव्य मंजिलें थीं। बगल में सोमेश्वर मंदिर, और अपनी खूबसूरत बावड़ी के साथ, किला बिल्कुल शांत था। किले पर चढ़ने से पहले हमने वहां पर मृत लोगों के लिए श्रद्धांजलि भी अर्पित की। किले की सीढ़ियाँ और शीर्ष टूटे हुए स्तंभों, पत्थरों और एक उजाड़ दिखने वाली नक्काशीदार जगह दिखाई पड़ा जो के शायद राजकुमारी रत्नावती का शौचालय था। मंदिर के अंदर की दीवारें अभी भी बरकरार है। 

वहाँ के लोगों का मनना है कि अभी भी रात के  समय राजकुमारी रत्नवाती एवं उस लड़ाई मे मारे गए सैनिकों कि आतमाए उस किले मे देखी जाती है उस ये उसी जादूगर का शाप है कि वहाँ के सभी मकानों के छत बड़े ही रहस्यमयी तरीके से खुद ब खुद गिर जाते है। लोगों के जान माल कि सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच भानगढ़ में प्रवेश वर्जित है। इसे भारत में सबसे भूतिया किला का दर्जा दिया गया है।

मुझे नहीं पता कि किला भूतिया है या नहीं, लेकिन यह वास्तव में यह HUNTED BEAUTY की उपाधि का तो हकदार है। आगे जब आप खुद जाए तो हमे जरूर बताए की आप को ये किला कैसा लगा। 

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