दुनिया की सबसे डरावनी फ़िल्म
एक ऐसी फिल्म जिसे आज तक कोई पूरी नहीं देख सका। दुनिया की सबसे डरावनी फ़िल्म। फिल्म जिसने थेटर के बाहर एम्बुलेंस लगवा दिए थे। द एक्सॉर्सिस्ट (The Exorcist)
दुनिया अजीबो - गरीब चीजों से भारी पड़ी है, पूरी दुनिया मे कई फिल्मे रोज बनती है जिसमे से कुछ हास्य फिल्मे होती है, तो कुछ सीरीअस, तो कुछ डरावनी फिल्मे भी बनती है । हम सब इस बात को बहुत अच्छे से जान रहे होते है की फिल्मों की कहानिया काल्पनिक होती है जिसका वास्तविक जीवन मे मनोरंजन मात्र के लिए है । लेकिन ये सब कुछ जानने के बावजूद कोई किसी फिल्म को देखने जाए और चीखते -चिल्लाते हुए सिनेमा हाल से बाहर निकले, किसी फिल्म को देखने जाए और अंदर दिल का दौरा पड़ने लग जाए, किसी फिल्म को देखने जाए और उस सिनेमा हाल मे वाशरूम मे उल्टियाँ ही उल्टियाँ हो, किसी फिल्म को देखने जाए और किस गर्भवती औरत का गर्भपात हो जाए, किसी फिल्म के लिए सिनेमा हाल के बाहर एम्बुलेंस की कतार खड़ी हो। इस फिल्म को लेकर इतनी देहशत, इतना खौफ, इतना डर होने के बाद आखिर कोई इस तरह की फिल्म को देखने क्यूँ जाएगा। लेकिन यहाँ मामला कुछ उलटा था, सिनेमा हाल सुबह के 4 बजे से सिनेमा हाल के बाहर लंबी लंबी लाइन लग जाती थी इस फिल्म की टिकट लेने के लिए।
इस तरह की डरावनी फिल्मों के बारे मे लोगों की विचार धारा है की ये छोटी बजट की बी ग्रेड टाइप की फिल्म होगी। इस फिल्म को बनाने मे तकरीबन 12 मिलियन डॉलर का खर्च आया था लेकिन कमाई के मामले मे इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकार्ड को तोड़ते हुए 444 मिलियन डॉलर का बिजनस किया था। इस फिल्म को ऑस्कर मे कुल 10 कैटेगरी मे नॉमिनेट किया गया और उस 10 नॉमिनेसन मे से 2 ऑस्कर अवॉर्ड भी उस फिल्म ने जीते। इस फिल्म को ग्लोब अवॉर्ड भी मिला।
इस फिल्म को दुनिया की सबसे शापित, सबसे मनहूस फिल्म के तौर भी जाना जाता है। इस फिल्म से जुड़े सारे लोग या तो किसी हादसे का शिकार हुए या तो कुछ ने खुदखुशी कर ली। इस फिल्म के शूटिंग के दौरान कुल 20 लोग मारे गए जिनमे से 9 लोग तो हादसे का शिकार हुए बाँकी के 11 लोग कैसे मारे ये आज भी एक रहस्य बना हुआ है।
इस फिल्म को वार्नर ब्रदर्स प्रोडक्शन के अंतर्गत बनाया गया। जब इस फिल्म को रिलीज करने से पहले फिल्म प्रोडक्शन टीम के कुछ लोग जब इसे देखने के लिए गए तो थोड़ी देर के बाद ही सारे लोग ये कहते हुए बाहर निकाल गए की आगे की फिल्म देखने की उनकी हिम्मत नही है । इस फिल्म को रिलीज होने के 5 दिन पहले फिल्म क्रिटिक्स के लिए दिखाया गया जिससे प्रोडक्शन टीम को उनके रिव्यू मिल सके की फिल्म कैसी बनी है मगर सारे क्रिटिक्स भी थोड़ी ही देर मे निकाल गए उन्होंने भी कहा की अब वो इस फिल्म को आगे नही देख पाएंगे। ये था इस फिल्म से जुड़ी कुछ पहलू इसके बाद आप भी जानना चाहेंगे की आखिर कार ऐसी कौन सी फिल्म है जिसको कोई पूरा देख ही पा रहा । तो आइए जानते है इस फिल्म से जुड़ी पूरी कहानी को।
बात है, साल 1969 की एक उपन्यास लिखने वाले लेखक जिनका नाम था "विलियम पीटर ब्लैटी"। इन्होंने एक डरावनी उपन्यास को लिखा था "द एक्सॉर्सिस्ट" (The Exorcist)। ये उपन्यास उस वक्त काफी बड़ा हिट साबित हुआ। इस तरह की डरावनी कहानी की किताब को लोगों ने काफी पसंद किया। उपन्यास के हिट होने के बाद उनको उए ख्याल आया की क्यूँ न इस कहानी पर एक फिल्म बनाई जाए। तो इस कहानी को लेकर वो बड़े बड़े लोगों के पास गए आखिरकार इस कहानी के सारे राइट्स को वार्नर ब्रदर्स ने खरीद लिए। फिर वार्नर ब्रदर्स ने इस कहानी को लेकर सारे बड़े बड़े डाइरेक्टर से संपर्क किया। परंतु किसी ने भी उस फिल्म को करने के लिए हामी नही भरी। शायद उस समय डरावनी फिल्मों को एक छोटे तबके का बी -सी ग्रेड की फिल्मे मानी जाती थी, और कोई भी डाइरेक्टर अपनी इमेज को उसके साथ जोड़ कर खराब नही करना चाहता था। जब कोई बड़ा डाइरेक्टर नही आया तो इस फिल्म को किसी बड़े ऐक्टर और एक्टरेस का भी साथ नही मिला। चुकी कोई भी बड़े ऐक्टर और एक्टरेस एक नए डायरेक्टर के साथ काम नही करना चाहता था।
जब कोई बड़ा डायरेक्टर नही मिल तो इस उपन्यास के लेखक ने इस फिल्म को डायरेक्ट करने का जिम्मा उठाया। फिर वार्नर ब्रदर्स ने इस फिल्म को पूरी तरह से एक नए स्टार कास्ट के साथ करने का फैसला लेते है। सारे स्टार कास्ट का ऑडिशन शरू होता है इसमे मुख्य किरदार जो की एक लड़की का था उसके लिए करीब 1000 लड़कियों का ऑडिशन लिया जाता है उसमे से एक लड़की को चुना जाता है उसका नाम था "लिंडा ग्रैन्ड"। सभी स्टार कास्ट को चुनने के बाद फिल्म की शूटिंग शरू की जाती है।
1973 को शूटिंग की शुरुआत होती है। फिल्म के लिए बाकायदा एक सेट को तैयार किया जाता है। जिसमे एक लिंडा ग्रैन्ड के घर का और उसके एक बेडरूम का भी होता है जहां पर भूत आता - जाता है। शूटिंग शुरू होती है फिल्म के सारे किरदार अपने अपने रोल को बखूबी निभा रहे थे की तभी अचानक से सेट के इलेक्ट्रिकल मेन बॉक्स मे एक चिड़िया घुस जाति है जिससे एक बड़ा शॉर्ट शरकीट होता है और सेट पर आग लग जाती है। आग इतनी भयानक थी के पूरा सेट लगभग जल जाता है। इस हादशे मे करीब 9 लोगों की मौत हो जाती है। शूटिंग का पहला ही दिन था सबकुछ आग जल के राख कर देता है लेकिन हैरतंगेज तरीके से लिंडा ग्रैन्ड का वह बेडरूम जिसमे भूत के आने - जाने का सीन फिल्माया जाना था, वह कमरा बिल्कुल सुरक्षित बच जाता है। इस बात से सभी के साथ फायर ब्रिगेड वालों को ताज्जुब हुआ की जितनी भयानक ये आग थी उसमे आखिर ये कमरा कैसे बच गया जबकि इसमे रही सभी चीजें जलने वाली ही थी। उस कमरे मे लकड़ी का बेड, चादर, कपड़ा इत्यादि चीजे थी।
इस नजारे ने वहाँ के सभी लोगों को डरा के रख दिया था। ये बात वार्नर ब्रदर्स को पता लगी तो करीब 6 सप्ताह के बाद उन्होंने एक फादर से संपर्क किया और उनसे आग्रह किया की वो सेट पर आकार उस सेट का शुध्दीकरण कर दे। फादर सेट पर आते है फिर वार्नर ब्रदर्स से कहते है की अगर उन्होंने सेट का शुध्दीकरण किया तो वहाँ कार करने वाले सभी लोगों को ऐसा लगेगा की जरूर यहाँ कुछ गड़बड़ है और शायद वो यहाँ काम भी नया करे। फिर फादर वहाँ से बिना शुध्दीकरण किये ही चले जाते है। फिर वार्नर ब्रदर्स और डायरेक्टर ने मिलकर सभी लोगों को समझ बुझा कर सेट पर वापस लाते है । फिर शूटिंग शरू होती है। एक सीन था जिसमे लिंडा ग्रैन्ड को तारों से झूलाते हुए शूट करना था, लेकिन उस सीन मे लिंडा ग्रैन्ड को लगा की जैसे तार उसे खुद ब खुद ही जकड़ता जा रहा था वो हवा मे झूलते हुए चीखने लगी "मुझे बचाओ... कोई मुझे नीचे उतारो.... परंतु सेट पर सब को लग रहा था की लिंडा ग्रैन्ड अपने डायलॉग बोल रही है बाद मे जब वो गालियां देने लगी तब जाके उनको नीचे उतार गया। इस शूटिंग के दौरान लिंडा ग्रैन्ड के रीढ़ पर गंभीर चोट आई थी। बाँकी पूरी शूटिंग के दौरान वो बैशाखियों से ही सेट पर आती थी।
इन सभी हदशों के बाद भी फिल्म रुक - रुककर भी लेकिन शूटिंग होती रही। इस फिल्म मे 9 लोगों के मौत के बाद भी एक -एक कर अलग -अलग लोगों की मौत होने लगी जिसमे पहली मौत "जैक मैकगोरोन" की हुई थी जो की फिल्म मे एक रोल प्ले कर रहे थे जिसमे उनको शैतान के हाथों मरता हुआ दिखाया जाना था लेकिन उससे पहले ही उनकी एक रहस्यमयी तरीके से मौत हो जाती है। एक एक्टरेस जिनका नाम "वासिली" था वो उस फिल्म मे फादर डेनिम के माँ का रोल कर रही थी उनकी भी फिल्म के रिलीज होने के पहले बड़े ही रहस्यमयी तरीके से मौत हो जाती है। लिंडा ग्रैन्ड के दादा उस फिल्म की शूटिंग देखने के लिए आए थे घर जाते ही उनकी मौत हो गई । कैमरा मैन का बेटा जन्म लेता है डॉक्टर ने उसे पूरी तरह से स्वस्थ बताया घर ले जाते ही उसकी भी अचानक से मौत हो जाती है। इस फिल्म के मेन हीरो "पॉल बेटसन" ने एक पत्रकार का खून कर दिया जिसके कारण उनको सजा हो गई। तो ऐसे करते -करते अलग अलग वक्त मे उस फिल्म से किसी न किसी तरीके से संबंध रखने वाले 11 व्यक्ति की मौत बड़े ही रहस्यमयी तरीके से हो गई। इस फिल्म ने पुरे होने तक मे कुल 20 लोगों की जान ले ली। अब फिल्म बन कर पूरी हो चुकी थी। अब देखते है की आखिर फिल्म की कहानी क्या थी ?
इस कहानी मे हॉलीवूड की एक एक्टरेस होती है जो की अपने फिल्म के सिलसिले मे अपनी बेटी के साथ एक नए जगह के नए घर मे शिफ्ट होती है । फिर कुछ दिन बाद वो देखती है की उसकी बेटी के व्यवहार मे कुछ बदलाव आने लगता है वो अचानक से चीखती है, अकेले अकेले किसी से बातें करती है, बड़े ही अजीब तरह का व्यवहार करती है। वो अपने बेटी को डॉक्टर को दिखती है डॉक्टर सारे टेस्ट करते है और उसे बिल्कुल ठीक बताते है।
लेकिन दिन ब दिन उसके बेटी की तबीयत बिगड़ती जाती है। पूछने पर बताती है की वहाँ उसका एक दोस्त भी है जिसकी गर्दन उलटी है। उस दोस्त के बारे मे बताते बताते वो लड़की अपनी गर्दन को पूरी तरह से उलटी दिशा मे घूमा लेती है। फिर वो बेहोश हो जाती है। इससे उसकी माँ घबरा जाती है और जल्दी से उसको डॉक्टर के पास ले जाती है। डॉक्टर सारी बात जान उसे फादर के पास जाने की सलाह देता है। वो फादर के पास जाती है और उनको पूरी बात बताती है। फादर उसके घर आते है आते ही वो समझ जाते है की लड़की किसी बुरी शैतानी शक्ति के चंगुल मे है। फिर वो उसका इलाज शरू करते है इसी दौरान कहानी बहुत से मोड लेती है कभी फादर का पलड़ा भारी होता है तो कभी शैतान का मगर अंत मे फादर उस शैतान से उस लड़की को बचाते हैं। तो इस तरह की पूरी कहानी है इस फिल्म की।
शुरुआती दौर मे इस फिल्म का कुल बजट मात्र 2.5 मिलियन डॉलर ही था परंतु इस फिल्म के दौरान इतने हादसे हुए, इतना वक्त बर्बाद हुआ की इस फिल्म का बजट 12 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया। इस फिल्म को 25 दिसंबर, 1973 को रिलीज किया जाना था । रिलीजिन्ग के ठीक पहले 21 दिसंबर को प्रोड्यूसर ने फिल्म की स्क्रीनिंग रखी जिसमे सारे फिल्म क्रिटिक्स को बुलाया गया था जो की फिल्म को देख अपना रिव्यू दे सके की फिल्म कैसी बनी है। वार्नर ब्रदर्स के एकसीक्यूटिव भी फिल्म के रिव्यू के लिए वहाँ आए थे जो फिल्म के शरू होने के कुछ मिनटों के बाद ही डर के मारे बिना रिव्यू दिए वहाँ से भाग खड़े हुए। बचे हुए लोगों मे से करीब 90% पत्रकार 15 मिनट के भीतर ही हाल से बिना कुछ बोले भागते नजर आए। जिन्होंने हिम्मत करके पूरी फिल्म को देखा वो फिल्म खत्म होने के बाद कुछ देर तक अपने होश मे ही नही थे बाद एक टकटकी लगाए स्क्रीन को घूरे जा रहे थे। कुछ पत्रकारों ने इस फिल्म पर जो रिव्यू दिया उसके बारे मे कहा जाता है की वो आधा - अधूरा रिव्यू था जो की डर और खौफ के साये मे दिया गया था।
फिल्म का प्रेमियर जहां रखा गया उस सिनेमा हाल के सामने 16 वीं शताब्दी का एक चर्च था। फिल्म के प्रीमियर के दौरान जब फिल्म चल रही थी तभी एक बिजली चर्च के ऊपर बने क्रॉस पर गिरी जिससे क्रॉस टूट कर जमीन पर गिर गया । जानकारों ने उस घटना को भी उसी फिल्म से जोड़ दी के इतनी शापित फिल्म है की जहाँ भी चलेगी वहाँ ऐसी घटना होनी है। इस घटना के बाद फिल्म की कहानी ने अखबारों के पहले पन्ने पर अपनी जगह बनाली। फिल्म का बैठे - बिठाए प्रचार हो गया। इसके बाद फिल्म के प्रोड्यूसर ने मार्केटिंग प्रचार के तहत फिल्म को मात्र 24 सिनेमा घरों मे ही रिलीज करने को घोषणा कर दी। कम सिनेमा घरों मे रिलीजिग के कारण उन सिनेमा घरों मे टूट कर भीड़ उमड़ी सुबह के 4 बजे से लाइन मे लग लोग टिकट लेने लगे। क्यूँकी फिल्म की कहानी के बारे मे अखबार ने काफी कुछ बात दिया था इससे लोगों मे फिल्म को लेकर उत्सुकता काफी बढ़ गई।
फिल्म के शरू होने के बाद कुछ सिनेमा हाल से अजीब - अजीब खबरे आने लगी जैसे किसी को फिल्म के दौरान दिल का दौरा आ गया, तो कुछ गर्भवती महिलाओं का गर्भपात हो गया, तो कुछ डर के मारे चीख रहे है, कुछ बीच फिल्म मे ही हाल छोड़ भाग रहे है, कुछ अजीब अजीब सी हरकत कर रहे है, कुछ नशा करने वाले तो इतना घबरा गए की सिनेमा हाल मे बाहर आकार पुलिस के सामने ही ड्रग्स लेने लगे। इस तरह के बढ़ते केश को देखते हुए सिनेमा हाल मे मालिकों ने वहाँ के अस्पताल से संपर्क किया और वहाँ हो रहे लगातार की घटनाओं से अवगत करते हुए अपने सिनेमा हाल के बाहर एम्बुलेंस खड़ी रखने को कहा। अब आलम ये था की सभी सिनेमा हाल के बाहर 3-4 एम्बुलेंस हर वक्त लगी रहने लगी पता नही कब किसको अस्पताल की जरूरत पद जाए। फिल्म देख के निकल रहे कुछ लोगों का कहना था की उन्हे फिल्म के दौरान अपने आसपास कुछ अजीब सी आवजे, अजीब सी ताकत और अजीब सी चीजे दिखाई पद रहीं थीं। जैसे वहाँ कोई भूत - प्रेत या कोई साया मौजूद हो।
जिस फिल्म को करने के लिए बड़े से बड़ा डायरेक्टर, ऐक्टर, ऐक्ट्रिस ने मना कर दिया था वो फिल्म बनी बिल्कुल ही नई स्टारकास्ट के साथ। जिसे मात्र 24 सिनेमा घरों मे ही दिखाया गया तथा मात्र 12 मिलियन डॉलर मे बनी फिल्म ने 444 मिलियन डॉलर का बिजनस किया। इस फिल्म को 2 ऑस्कर मिला 1 ग्लोबल अवॉर्ड भी मिला। जिसने बॉक्स ऑफिस मे अपने नाम का परचम फहरा दिया, उसके बावजूद भी इस फिल्म को आज भी दुनिया की सबसे शापित और सबसे मनहूश फिल्म के नाम से जाना जाता है।
खैर इसमे कितनी सच्चाई है इसका अंदाजा तो आप सभी को फिल्म देखने के बाद ही पता चल सकता है। अगर आपने फिल्म देखी है तो अपना अनुभव हमारे साथ कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बांटे। मिलते है अपने अगले ब्लॉग मे। तब तक के लिए ।
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