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धमकी, ब्लैकमेलिंग और हैकिंग की एक विचित्र कहानी

 

धमकी, ब्लैकमेलिंग और हैकिंग


धमकी, ब्लैकमेलिंग और हैकिंग की एक विचित्र कहानी जो आपको हैरान कर देगा ।

दिल्ली से सटे गाजियाबाद की एक हाउज़िंग सोसाइटी के एक घर मे एक सरकारी ऑफिसर का परिवार रहता है । परिवार मे उनकी पत्नी, 12-13 साल की एक बेटी और 9-10 साल का एक बेटा है । हस्ता खेलता परिवार था नौकरी भी बढ़िया है आखिर सरकारी ऑफिसर जो ठहरे, बच्चे भी गाजियाबाद के बड़े स्कूल मे पढ़ते थे । पत्नी भी एक कुशल गृहनी है । जिंदगी बहुत ही मजे से और सुकून से कट रही थी।

बात है जनवरी 01, 2021 की, दोनों पति - पत्नी के ईमेल पर एक धमकी भरा ईमेल आता है । ईमेल के जरिए 10 लाख रुपये की मांग की जाती है, पैसे नहीं देने के बदले परिवार के चारों सदस्यों को जान से मार देने की धमकी दी जाती है । 

दोनों ईमेल पढ़ कर थोड़ा डर जाते है इससे पहले की वो कुछ समझ पाते की भेजा गया ईमेल फ्रॉड है या किसी का किया गया मज़ाक तब तक दुशरा ईमेल आ जाता है । इस मेल मे 20 लाख रुपये की मांग की जाती है ।  ईमेल का ये शीलसिला जनवरी 01 से शुरू होकर जनवरी 23 तक चलता रहता है और हर मेल मे पैसे को बढ़ा दिया जाता है । जो की 10 लाख रुपये से शुरू होकर 10 करोड़ तक पहुँच जाती है । बाकायदा उस ईमेल मे सिवाय एक ईमेल आइडी के कुछ भी नहीं था । 

हर ईमेल मे पैसों की मांग के साथ साथ अजीबो - गरीब धमकी आती थी जिसमे एक धमकी थी " अगर तुमने पुलिस को बताया तो मुझे पता है तुम्हारे घर मे तुम पति पत्नी के अलावे दो बच्चे भी है तुम सबकी लाश पुलिस वालों को मिलेंगी, फिर एक मेल मे आया की तुम्हारी लड़की 13 साल की है उसकी शादी करने के लिए तैयार हो जाओ।" इस तरह की बातों से दोनों पति - पत्नी डर गए और अब क्या करना चाहिए ये सोचने लगे। फिर दोनों ने गाजियाबाद पुलिस को ये सारी बाते बताई । गाजियाबाद पुलिस तुरंत हरकत मे आयी चूंकि मामला एक सरकारी ऑफिसर का था इसलिए तफतीश तुरंत शरू हुई । 

ब्लैकमेल करने वाले ने धमकी भरे ईमेल में बड़ी ही अजीबो - गरीब सब बाते भी लिख कर उसे भेजता जिसमे पति - पत्नी और बच्चों के द्वारा किए गए दिनभर के कार्यों का विस्तार से वर्णन होता था, घर मे कौन - कौन आता था कौन कब जाता था किसने कब खाना खाया क्या खाया इत्यादि उसने कहा की उस दम्पत्ति की एक - एक सांस का पता उसको है। इसलिए उसकी बातो को अगर नहीं माना गया तो अंजाम भी भुगतने के लिए तैयार रहे। 

ईमेल की इस तरह की बातों से परिवार बहुत डर गया और उन्हे लगने लगा की जैसे कोई उनको देख रहा हो उनपे नजर रख रहा हो। इसलिए उन्होंने अपने पूरे घर की तलाशी भी ली की कहीं किसी ने कोई कैमरा तो छुपा के नहीं रख दिया है घर मे । परंतु दोनों को निराशा ही हाथ लगी । उनको कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की उनके साथ  अचानक से या सब क्या शरू हो गया । 

पुलिस ने जनवरी 23, 2021 को एफ० आई० आर० दर्ज कर लिया । चूंकि मामला एक सरकारी ऑफिसर का था इसलिए पुलिस ने भी इस वारदात को मुस्तैदी की छान - बिन करने लगे । छान -बिन की शुरुआत पुलिस ने उनके घर से की । सुबह 11 बजे पुलिस उनके घर छान बिन के लिए पहुंची । पुलिस ने पूरे घर को खंगाल डाला । एक -एक चीजों को बड़े गौर से देखा गया की कहीं कोई कैमरा , कोई डिवाइस, कोई औडियो डिवाइस तो नहीं छिपाया गया है यहाँ तक की उनके सभी मोबाईल फोन, कंप्युटर और लेपटॉप सभी की भी जांच की गई परंतु कहीं कुछ भी नहीं मिला । जांच करते - करते शाम के 06 बज गए थे । फिर पुलिस ने शक जताया की मोबाईल और कंप्युटर मे किसी ने कोई सॉफ्टवेयर या कोई हैकिंग एप डाला हो सकता है इसलिए पति - पत्नी के मोबाईल के साथ घर के कंप्युटर को साइबर एक्सपर्ट से जांच कराने के लिए अपने कब्जे मे ले लिए, साथ ही पुलिस ने उस दंपति को अपने ईमेल और सभी इंटरनेट संबंधी पासवर्ड को तुरंत बदलने को भी कहा । इसके बाद पुलिस वहाँ से चली गई । 

अभी पुलिस को निकले 10 मिनट ही हुए थे की इन्स्पेक्टर साहब का फोन बज उठा। इन्स्पेक्टर साहब ने देखा तो फोन उसी सरकारी ऑफिसर का था । उसने कहा की आपके निकलते ही एक मेल आया जिसमे लिखा था " तुमने अच्छा नहीं किया पुलिस को हमारे बीच शामिल करके। सुबह 11 बजे पुलिस आई थी और शाम 06 बजे पुलिस गई है और वो साथ मे तुम दोनों के मोबाईल और घर का कंप्युटर भी ले के गई है । कुल 05 पुलिस वाले आए थे । साथ मे उस मेल मे एक - एक कमरे मे की गई तलाशी और पुलिस वालों की आपस की सारी बातचीत भी विस्तार से लिखा हुआ था ।" ये सुनते ही उस पुलिस ऑफिसर का दिमाग घूम गया । फिर पुलिस ऑफिसर ने तुरंत ही गाड़ी को वापस उस दम्पत्ति के घर की ओर मोड लिए घर पहुंचते ही उस मेल को देखा वो दंग रह गए। चूंकि उस छानबीन के अधिकारी वो खुद थे इसलिए छोटी -से छोटी बात भी उस मेल मे पढ़ कर वो हैरान थे । वो समझ नहीं पा रहे थे की आखिर माजरा क्या है । 

उस दम्पत्ति ने एक और बड़े ही अजीब सी बात को बताया के जब कोई घर का बेल बजाता या कोई फोन आनेवाला होता ये सब बात वो हमे पहले ही ईमेल पर बात देता था जैसे कि वो अपने होने का एहसास करना चाहता हो की उसकी नजरों से बचकर वो परिवार सांस भी नहीं ले सकता था । पुलिस को मामला कुछ गड़बड़ लग रहा था पुलिस ने फिर से पूरे घर की छानबीन की । घर मे किसी पर शक किया जा सके ऐसा कोई नहीं था पति - पत्नी ने खुद पुलिस से इस मामले की शिकायत की थी बेटी 13 साल की थी जो सातावी कक्षा मे थी बेटा 10 साल का था जो पाँचवी कक्षा मे था । आसपड़ोस के सीसी टीवी मे भी देखा गया परंतु ऐसा कुछ खास दिखा ही नहीं । पड़ोसियों से भी बात की गई परंतु कुछ पता नहीं चला । 

पुलिस को ये समझ नहीं या रहा था की जब कोई गैजेट घर मे नहीं लगा है, मोबाईल और कंप्युटर को भी जप्त किया जा चुका है । तो आखिर कार घर के भीतर की सारी बातें कोई बाहर वाला कैसे जान सकता है। चूंकि दरवाजे पर कोई कैमरा भी नहीं था फिर भी उस ब्लैकमेलर को कौन आ रहा है कब आ रहा है ये सब कैसे पता होता था । इस बात से पुलिस वालों को लगाने - लगा के ये काम किसी बाहर वाले का नहीं बल्कि किसी घर वाले का ही है । 

पुलिस वालों ने तफतीश को आगे बढ़ाया और घर के सभी सदस्यों को शक के दायरे मे रखा । सबसे पहले पति की जांच पड़ताल और पूछताछ की गई फिर पत्नी की फिर बेटी की अब बेटे की बारी थी जो की पाँचवी कक्षा का बच्चा था जिसकी उम्र 10 साल की थी उससे पूछताछ की गई और उसके कंप्युटर की छानबीन की गई तो कुछ अजीब से ईमेल आईडी दिखे । पुलिस को लगा के पाँचवी कक्षा का बच्चा और इतने सारे ईमेल आईडी करता क्या है । पुलिस ने बच्चे से पूछा तो बच्चे ने कहा की "ये सब मैंने और मेरे दोस्तों ने बनाया है " फिर पूछताछ मे बच्चा कुछ बाते गोलमोल सा घुमाने लगा । पुलिस को लगा के 10 साल का बच्चा है उससे कडे रुख मे बात करना सही नहीं होगा । पुलिस वाले थोड़े मजबूर से लग रही थे लेकिन जिस मेल आईडी से ईमेल आ रहे थे उस ईमेल को पुलिस ने उस बच्चे के कंप्युटर से बरामद कर लिया । पूछने पर बच्चे ने बताया की "हाँ मेरे एक दोस्त आदित्य ने कहा था कि  फेक ईमेल आईडी बनाओ और उससे अपने मम्मी और पापा को धमकी भरा ईमेल भेजो। उसकी बात नहीं मानने पर वो मुझे पीटता था । पुलिस ने पता लगाया तो पता चला के वो बच्चा उन्हे झूठी कहानी सुना रहा था क्युकी आदित्य नाम का उसका कोई दोस्त था ही नहीं । बच्चे से फिर से पूछा तो बच्चे ने कहा की "यमराज नाम का एक दोस्त है उसने उसको ऐसा करने को कहा था"। बच्चे की ये कहानी भी झूठी निकली। बच्चा कुछ बता नहीं रहा था और पुलिस कोई कडा कदम उसके खलाफ़ नहीं ले सकती थी क्यूँकी बच्चे की उम्र बहुत कम थी। फिर पुलिस वालों ने उस बच्चे के माँ - बाप से बात की और उनको कहा उस बच्चे की काउंसेलिंग करे। थोड़ी मेहनत लगी पर बच्चा सच बताने को तैयार हो गया । 

अब इस पूरे प्रकरण का सच सामने आने वाला था । कहानी शरू होती है 22 दिसेम्बर 2020 को उस दिन स्कूल की तरफ से साइबर सिक्युरिटी से संबंधीत एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया था । जिसमे साइबर क्राइम और साइबर सिक्युरिटी के एक्सपर्ट को भी बच्चों मे साइबर क्राइम और साइबर सिक्युरिटी को लेकर जागरूकता के लिए बुलाया गया था जिसमे मोबाईल, लैपटॉप, ईमेल, हैकिंग इत्यादि बातो को बताया जाना था । उस प्रोग्राम मे वो बच्चा भी था और उस बच्चे ने इन सभी चीजों को बड़े गौर से - बड़े ध्यान से सुना । प्रोग्राम के खत्म होने के बाद बच्चा रूम से बाहर आया । उसके दिमाग मे सैकड़ों सवाल थे की ऐसा कैसे हो सकता है , कैसे कोई किसी का डाटा निकाल सकता है, कैसे किसी को हैक किया जा सकता है कैसे फेक ईमेल बनाया जा सकता है इत्यादि । 

इसके बाद वो घर आया और अपने सारे सवालों के जवाब वो यूट्यूब पर ढूँढने लगा और उस पर तरह - तरह के विडिओ को देख उसके बारे मे सीखने लगा मोबाईल हैकिंग, कंप्युटर हैकिंग, फेक ईमेल आईडी बनाने का तरीका  इत्यादि और इन सबका इस्तेमाल कहाँ - कहाँ किया जा सकता है इन बातों को समझने लगा । वो सब कुछ समझ जाने के बाद अब सेचने लगा की इसका इस्तेमाल कहाँ करू तो उसने अपने घर से ही शरू किया । फेक ईमेल आईडी बना कर अपने माता - पिता को ही धमकी देना शरू कर दिया । वो पहले मेल करता इससे पहले की कोई मेल पढ़ता वो दौड़ के बाहर जाता गेट की बेल को बजाता इससे पहले वो मेल मे लिख चूका होता की देखो घंटी बजेगी । इससे वो उस दंपति को डराना चाहता था की देखो मैं तुम्हारे घर के कितने करीब हूँ। चूंकि वो घर मे ही होता था इसलिए उसे घर के भीतर की सारी बाते भी पता होता था कौन आया - कौन गया, क्या खाने मे बना है, किसने क्या पहना है इत्यादि बाते जो वो ईमेल मे लिखा करता था । इसलिए जब पुलिस वाले घर आए थे तब उसे सब पता था की कितने पुलिस वाले आए है , कौन लीडर है, क्या क्या समान ले कर जा रहे थे इत्यादि। इस बात का खुलाशा उसने खुद कर दिया था । इससे पुलिस और वो दम्पत्ति बिल्कुल ही स्तब्ध थे जैसे काटो तो खून न हो, जायज भी था क्युकी एक 10 साल के पाचवी कक्षा मे पढ़ने वाला बच्चा ऐसा भी कर सकता था किसी को सपने मे भी नहीं आया होगा । 

अब सवाल था की पुलिस उस बच्चे के साथ क्या कारवाही करती है । पुलिस ने उस बच्चे से जब पूछा तो बच्चे ने बताया की "वो तो बस ये देखना चाहता था की साइबर सिक्युरिटी काम कैसे करती है इसके प्रमाण की जांच करना चाहता था इसलिए इसका प्रयोग अपने घर मे ही किया ।" बच्चे की उम्र और बच्चे की नियत को समझते हुए पुलिस ने बच्चे से जुड़े सभी सबूतों को खत्म कर दिया, और बच्चे को समझाया की उसने कितना बड़ा गुनाह किया है । फिर उसके मा - बाप को भी बच्चों पर निगरानी रखने को कहा, खास कर बच्चा मोबाईल कितनी देर तक देखता है , कंप्युटर या लेपटॉप पर कितनी देर तक बैठता है , वो किस प्रकार के कंटेन्ट को देखता है, उसवक्त उसके आसपास किसको होना चाहिए किसको नहीं होना चाहिए  इत्यादि के हिदायतों के बाद उस बच्चे को छोड़ दिया गया।

अब आप मुझे बताइए की इसमे किसकी गलती है । माँ की, पिता की , स्कूल की, यूट्यूब की , साइबर एक्सपर्ट की या यूट्यूब पर इस तरह के कंटेन्ट डालने वालों की । इसका जवाब कमेन्ट बॉक्स मे जरूर दे । अब मिलते है अपने अगले ब्लॉग मे तब तक के लिए । 
                                                            *****🙇🙇🙇
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